चीन न सिर्फ लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेना की तैनाती बढ़ा रहा है बल्कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जो कि भारत-चीन की सीमा से सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर है, वहां भी पीएलए ने बड़ी संख्या में फौज पहुंचा दी है।
हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार चीन ने अब उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगती सीमाओं पर नया मोर्चा खोल दिया है। यहां चीन की लाल सेना ने स्थायी आर्मी बेस कैंप बना दिया है।
जिस पाला मैदान में चीन ने अपना सैन्य बेस तैयार किया है वहां न केवल सैनिक बल्कि इसी बेस के करीब लांच पैड तैयार कर मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं।
कहां है चीन का सैन्य अड्डा : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद लिपुलेख वो ट्राइजंक्शन है, जहां भारत नेपाल और चीन की सीमाएं आपस में लगती हैं। करीब 17 हजार फुट की ऊंचाई वाले इस ट्राइजंक्शन से 12 किलोमीटर दूर चीन का नया सैन्य अड्डा तैयार हो रहा है।
स्थायी तैनाती की तैयारी में पीएलए : सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से चीन ने भारतीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर पाला नाम के मैदान पर कुछ स्थायी सैन्य चौकियां या बड़ा सैन्य ठिकाना बनाना शुरू कर दिया था, जिन पर पिछले दो हफ्ते से चीनी सैनिकों को इकठ्ठा किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि चीन ने जुलाई में ही पाला के पास करीब 1,000 सैनिक तैनात कर एक स्थायी चौकी भी बनाई थी। रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगस्त महीने के आखिर तक पाला सैन्य छावनी में लगभग 3 हजार चीनी सैनिक हैं। स्थायी बेस कैंप बनाने से अब यहां पूरे साल चीनी सैनिकों की तैनाती रहेगी।
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण : लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल के मुकाबले, उत्तारखंड की लिपुलेख सीमा अब तक सबसे सुरक्षित सीमा मानी जाती थी, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते चीन यहां घुसपैठ करने से बचता रहा है। लेकिन अब उसके नए सैन्य अड्डे से और नेपाल से लिपुलेख पर हुए विवाद के बाद अब भारत को इस क्षेत्र में भी अतिरिक्त बल तैनात करना होगा।
यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार रात में चीन की तरफ से पिथौरागढ़ सीमा पर मानव रहित टोही विमान (ड्रोन) भी उड़ते दिखे हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की सीमा पर इस समय भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) मुस्तैदी से तैनात है।
भारत ने भी कमर कसी : पिथौरागढ़ के नए मोर्चे पर भारतीय सेना ने भी किसी प्रकार के दुस्साहस का जवाब देने की तैयारी कर ली है। पिछले तीन दिनों से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जेट फाइटर भी सीमा के करीब उड़ान भर रहे हैं।
सामरिक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण इस इलाके में दुर्गम पहाड़ियां और घने जंगल हैं। वैसे तो सड़क सीमा संगठन (BRO) ने लिपुलेख बॉर्डर तक सड़क बना दी है, लेकिन मिलम तक अभी भी रास्ता पैदल होने के साथ बेहद मुश्किल है। इसलिए यहां लगातार हवाई निगरानी रखी जा रही है।