डोकलाम को लेकर भारत-चीन विवाद के बीच चीनी सेना की मौका मिलते ही घुसपैठ जारी है और चमोली में घुसे चीनी सैनिकों के धमकाने के बाद भारतीय चरवाहे फिर से घास के उन मैदानों में नहीं गए, जहां वे इन दिनों में दो और माह टिकते।
डोकलाम विवाद शुरू होने के 37 दिन बाद 25 जुलाई को चमोली की बाराहोती सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिक भारतीय सीमा के करीब आए थे। उन्होंने आसपास के गांवों से भेड़ चराने आने वाले चरवाहों को धमकाया और उनके टेंट फाड़ दिए।
इस घटना के बाद एक भारतीय चरवाहे ने बताया कि साल में कुछ महीनों के लिए भेड़ चराने गांवों से दूर बॉर्डर की ओर निकल जाते हैं। वे आमतौर पर अक्टूबर या सितंबर के बाद वापस लौटते हैं। लेकिन इस बार चीनी सैनिकों की धमकी के चलते चरवाहों को दो महीने पहले ही अपने घरों की ओर लौटना पड़ा।
भारतीय सैनिकों ने भी इन सैनिकों को निचले और सुरक्षित क्षेत्रों में जाने की सलाह दी। इसके बाद आईटीबीपी के जवानों ने बॉर्डर क्षेत्र में अपने जवान बढ़ाए हैं। साथ ही पुराने बंकरों की मरम्मत भी शुरू की है।
पैनी गांव के एक चरवाहे राजेंद्रसिंह नेगी ने बताया कि हम हर साल भेड़ चराने जाते हैं, लेकिन इस बार चीनी सीमा पर ज्यादा हलचल है। चीनी सैनिकों ने हमें भगा दिया और दोबारा कभी नहीं आने की धमकी दी।