नई दिल्ली। मुंबई के पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक के बाद अब दिल्ली के एक सहकारी बैंक में धोखाधड़ी का पता चला है। दिल्ली असेंबली पेटिशन कमेटी की बैठक में पता चला कि दिल्ली के को-ऑपरेटिव बैंक दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक (DNSB) ने फर्जी इनकम टैक्स रिटर्न और फर्जी प्रॉपर्टी के कागजातों और सरकारी पहचान पत्र के आधार पर बहुत से लोगों को ऋण बांट दिए। दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में रजिस्टर्ड है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, ग्रेटर कैलाश के विधायक सौरभ भारद्वाज की अगुआई में हाउस पेटिशंस कमेटी को पता चला कि दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में करीब 600 करोड़ रुपए जमा हैं और बैंक का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) करीब 38 प्रतिशत (225 करोड़ रुपए से ज्यादा) है। कमेटी के मुताबिक, इस सहकारी बैंक में भी पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) की तरह घोटाला किया गया है।
भारद्वाज के अनुसार, एक विसलब्लोर की शिकायत के आधार पर 2011 और 2014 के बीच फर्जी पेपर्स के जरिए 8000 से ज्यादा लोगों को करोड़ों रुपए का ऋण दिया गया। आंतरिक जांच कमेटी ने 717 मामलों की जांच शुरू की है।
बाकी इंडिपेंडेंट ऑडिटर्स इसकी जांच करेंगे। इनमें से लोन से जुड़े 72 मामलों की जांच हुई। इनमें 58 मामले विभिन्न फ्रॉड से जुड़े सही पाए गए हैं। ये लोन फर्जी आईटीआर और दुकानों के जाली पेपर्स और आवेदक द्वारा प्रॉपर्टी को मॉर्गेज कर दिए गए। कमेटी ने पाया कि 54 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन इसकी जांच में तेजी नहीं आई है।
पैनल के अनुसार, 4 जांच कमेटी (जिसमें एक इंटरनल प्रोब और 3 इंडिपेंडेंट ऑडिटर्स- जिसमें से एक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नियुक्त) को पता चला कि बहुत सारे लोगों को ऋण देने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। बैंक के चीफ एक्सक्यूटिव ऑफिस जितेंद्र गुप्ता ने बड़े पैमाने पर घोटाला किया।
प्रतीकात्मक फोटो