नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में करारी हार के बाद पार्टी में ढांचागत बदलाव की मांग जोर पकड़ने पर कांग्रेस ने कहा कि वह 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी पहले ही शुरू कर चुकी है और नरेंद्र मोदी तथा भाजपा को कड़ी चुनौती देगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सीपी जोशी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पूरा राजनीतिक विमर्श बदल गया है और नई चुनौतियां सामने आ गई हैं, जिनके लिए पार्टी को देश भर में अन्य पार्टियों से तालमेल करना होगा ताकि भाजपा का मुकाबला किया जा सके।
जोशी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से हम एक नए विमर्श का सामना कर रहे हैं। हम नई चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि हम राहुल गांधी के नेतृत्व में 2019 में नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती पेश करेंगे। उन्होंने राहुल का बचाव करने की कोशिश करते हुए कहा कि उन्होंने मोदी से मुकाबले के लिए विभिन्न पार्टियों को साथ लाने में भूमिका निभाई और बिहार इसका उदाहरण है।
इस बीच कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि कोई मूर्ख ही मोदी को अकेले हराने की बात कर सकता है। ताजा चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि कांग्रेस 2019 में महागठबंधन कर और एकजुट होकर मुकाबला करने पर ही जीत सकती है।
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रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद कहते हैं कि मोदी के खिलाफ 2019 में अकेले लड़ने पर विपक्ष की लुटिया डूब सकती है।
लालू प्रसाद यादव की राजद भी इसी मत का पक्षधर है। राजद के अशोक सिंह कहते हैं कि विपक्षी दलों को एक मंच पर आकर मोदी को करारा जवाब देना चाहिए।
सपा के डॉ. राकेश कहते हैं कि उनकी पार्टी भाजपा से अकेले लड़ने में सक्षम है लेकिन यदि महागठबंधन बन जाए तो कोई बुराई नहीं है। उनका दावा है कि हारने के बावजूद उत्तर प्रदेश में सपा को वोट काफी मिले हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 160 से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां सपा दूसरे नम्बर पर रही है। इस सबके बावजूद भाजपा को रोकने के लिए गठबन्धन बन जाये तो कोई बुराई नहीं है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को 39.7, बसपा को 22.2, सपा को 21.8 और कांग्रेस को 6.2 प्रतिशत वोट मिले हैं। तीनों दलों को मिले वोटों का प्रतिशत 50.2 है जो भाजपा के मतों से करीब 11 फीसदी अधिक है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सूर्यकान्त पाण्डेय भी वर्तमान राजनीतिक माहौल में महागठबन्धन को जरुरी बताते हैं और कहते हैं कि भाजपा को 2019 में सत्ता में आने से रोकने के लिए इसके शिवाय कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है। (एजेंसियां)