दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर कृषि कानून और किसानों पर हुई बर्बरता के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने कब्जा जमाया हुआ है। किसानों के राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है। अब विपक्ष के नेताओं ने भी किसानों के इस आंदोलन में पहुंचना शुरू कर दिया है।
आज सरकार और किसानों के बीच 5वें राउंड की वार्ता होनी है। अगर ये वार्ता के विफल रहती है तो किसानों ने 8 दिसंबर को देश व्यापी बंद का आह्वान करके उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है। इसके बाद राजनीतिक दल भी आंदोलन के प्रति सक्रिय रूख दिखा रहे है।
शनिवार की सुबह कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू किसानों के समर्थन में दिल्ली-यूपी बॉडर पर पहुंचे और किसानों की के साथ सरकार के लिए किए गए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। भारतीय किसान यूनियन ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय के किसानों को दिए गए समर्थन को मात्र दिखावा और ढोंग बताया है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता से लगभग 20 मिनट बातचीत की, किसानों को भरोसा दिया कि उनकी हर लड़ाई में कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई है। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी इस समर्थन को मात्र छलावा बता रहे है। किसानों का कहना है की सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने किसानों के लिए कुछ नही किया, अब क्या करेंगी।
भारतीय किसान यूनियन दिल्ली एनसीआर चीफ सेक्रेटरी मांगेराम त्यागी का कहना है कि नेताओं के द्वारा किसानों को सिर्फ मूर्ख बनाने का बनाने का काम किया जा रहा है। जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी, तब भारतीय जनता पार्टी किसानों की हितैषी बनकर समर्थन देती थी, अब यही बात और काम आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कह रहे हैं। यदि कांग्रेस वास्तव में किसानों के दर्द को समझती तो वह किसानों के हित में काम करती और अपनी सरकार में स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करती।
भाकियू का कहना था यदि वास्तव में कांग्रेस पार्टी नेता और कार्यकर्ता किसानों के हितैषी है, तो वह इस आंदोलन में पहले दिन ही शामिल होते। सर्दियों की रातों में भारतीय किसान यूनियन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सड़कों पर रात गुजारते। यदि वह यह किसानों के इस आंदोलन में रूखी-सूखी रोटी खाते तो वह किसानों के सच्चे हमदर्द होते। कुछ मिनट आंदोलन में रूकना और कहना की हम तुम्हारे साथ है ऐसा करके विपक्ष द्वारा ये स्वांग रचा जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन ऐसे समर्थन को नहीं मानती है और कांग्रेस पर हमें कतई भरोसा नहीं है। किसान अब समझदार हो गया है। वह जान चुका है पार्टियां जब सत्ता में होती हैं तो किसानों हाशिये पर होता है, लेकिन पार्टी जब विपक्ष में आ जाती हैं तो उन्हें किसान अन्नदाता नजर आता है, वह उनके साथ खड़े होने ढोंग रच कर अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैं।