नई दिल्ली। बाजार अध्ययन तथा साख निर्धारक कंपनी क्रिसिल का कहना है कि ग्राहकों को सिर्फ उनकी पसंद के टीवी चैनलों को सब्सक्राइब करने और उसके लिए ही भुगतान करने की आजादी संबंधी ट्राई के नए नियमों से उपभोक्ताओं के टीवी बिल में कमी की उम्मीद नहीं है।
क्रिसिल की सोमवार को जारी विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार दूरसंचार नियामक के इस दिशा-निर्देश से अधिकतर ग्राहकों पर बिल का बोझ कम होने की बजाय बढ़ेगा।
इसमें कहा गया है कि देश के 90 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ता 50 या उससे भी कम चैनल देखते हैं और नए कानून से उन्हें अपनी पसंद के चैनल चुनने की आजादी होगी तथा उनके लिए उन चैनलों से बंधने की मजबूरी नहीं होगी जिन्हें वे नहीं देखते।
क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक (साख) सचिन गुप्ता ने कहा कि नियमों के हमारे विश्लेषण से यह पता चला है कि दर्शकों के मासिक टीवी बिल पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।
पुरानी कीमतों से तुलना करने पर 10 चैनल सब्सक्राइब करने वाले उपभोक्ताओं का बिल मौजूदा 230-240 रुपए की तुलना में 25 प्रतिशत तक बढ़कर 300 रुपए प्रतिमाह पर पहुंच सकता है, लेकिन यदि उपभोक्ता 5 चैनल या इससे कम सब्सक्राइब करते हैं, तो उनका बिल घट सकता है।
क्रिसिल का मानना है कि 1 फरवरी से प्रभाव में आए इन नियमों से लोकप्रिय चैनलों को फायदा होगा और 'ओवर द टॉप' सेवाओं जैसे नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार आदि की तरफ लोगों का रुझान बढ़ेगा। इससे प्रसारण उद्योग में एकीकरण और विलय को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि अब कार्यक्रम की गुणवत्ता ही सब कुछ होगी।
नए प्रावधानों से प्रसारकों का राजस्व 40 प्रतिशत बढ़कर 94 रुपए प्रति उपभोक्ता पर पहुंच जाएगा। यह अभी 60 से 70 रुपए प्रति उपभोक्ता प्रतिमाह है। चूंकि उपभोक्ता लोकप्रिय चैनलों की ओर ज्यादा भागेंगे इसलिए कीमतें तय करने में बड़े प्रसारकों की ज्यादा चलेगी, वहीं कम लोकप्रिय चैनलों की मुश्किल बढ़ेगी जबकि सबसे कम लोकप्रिय चैनल बंद होने पर मजबूर हो सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वितरकों (डीटीएच तथा केबल ऑपरेटर) के लिए इसका मिश्रित प्रभाव होगा। उन्हें पैकेजिंग से होने वाला फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन प्रति उपभोक्ता उनकी कमाई तय हो गई है।