दक्षिण एशिया में भारत के दो प्रमुख पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका में महंगाई के चलते सियासी उथलपुथल मचा हुआ है। पाकिस्तान में इमरान सरकार की सत्ता से विदाई में महंगाई एक प्रमुख कारण है वहीं श्रीलंका में सरकार की खराब आर्थिक नीतियों के चलते महंगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है और सरकार को लोगों के अक्रोश को दबाने के लिए इमरजेंसी का साहरा लेना पड़ा। पड़ोसी देशों के इन हालातों से भारत अछूता नहीं है। भारत में भी इन दिनों मुफ्त की सियासत और महंगाई पर हर ओर चर्चा हो रही है। वेबदुनिया की खास सीरीज में हमने बुधवार को बात की थी मुफ्त की सियासत की और आज बाद करेंगे महंगाई के ऑउट ऑफ कंट्रोल होने की।
सरकार ने कहा और बढ़ेगी महंगाई-महंगाई पर विस्तार से बात करें उससे पहले यह भी जान लीजिए कि महंगाई अब सरकार के कंट्रोल से बाहर होती दिख रही है। आज भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2023 में महंगाई दर का अनुमान 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया है,यानि आने वाले समय में महंगाई और बढ़ेगी। फरवरी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.07% पहुंच गई थी जो एक महीना पहले जनवरी में 6.01% थी। रिजर्व बैंक का टारगेट महंगाई दर को 4% से 6% के बीच में बनाकर रखने की है।
महंगाई ऑउट ऑफ कंट्रोल-लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम और रूस-यूक्रेन युद्ध के असर से देश में इन दिनों महंगाई आसमान छू रही है। घर की रसोई का खर्च करीब-करीब 30-40 फीसदी बढ़ गया है। महंगाई के चलते अब आम आदमी को रोजमर्रा की जरूरत में आने वाले समान आटा-चावल के लिए अधिक जेब ढीली करनी पड़ रही है। आटा, चावल, रिफाइंड और मसाले समेत रसोई में इस्तेमाल होने वाली कई वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं।
अगर खाद्य पदार्थों की महंगाई के ग्राफ को देखा जाए तो पिछले दो साल में घर की रसोई का खर्च दो गुना हो गया है। अप्रैल 2020 में जो कंपनी का पैकेट बंद 5 किलो का ब्रांडेड आटा जो 150 में बिक रहा था वह आज 175-80 में बिक रहा है। इसके साथ ही खाद्य तेल के दाम पिछले तीन महीने में 40 से 50 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ने से खाने का जायका ही बदल गया है।
सरसों का बोतल बंद तेल जो पिछले अप्रैल 2020 में 90-100 रुपए में बिक रहा था वह आज 200-210 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। वहीं रिफाइंड ऑयल के दाम भी दो साल में दोगुने हो गए है। अप्रैल 2020 में रिफाइंड ऑयल 80-90 रुपए/ली. बिक रहा था वह आज 160-170 रु/ली. बिक रहा है।
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार महासंघ के महासचिव अनुपम अग्रवाल कहते है कि पिछले एक साल में खाद्य प्रदार्थों और अनाज के दामों में थोक व्यवपार में 25 फीसदी तेजी आई है। वह कहते हैं कि खाद्य सामग्री के साथ आवश्यक वस्तुओं के दाम जिस तेजी से बढ़े है उससे लोग परेशान हुए है और इसका असर व्यापार पर भी पड़ा है। हलांकि वह कहते हैं कि चूंकि इस वक्त बाजार में गेहूं सहित अन्य अनाज की आवक बहुत अच्छी है, इससे दाम अब लगभग स्थिर हो गए है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ी महंगाई- रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद लगातार महंगाई बढ़ रही है। भारत में खाद्य तेल खासतौर पर सूरजमुखी के तेल के दाम आसमान छूने लगे। इसके साथ आटा, चावल और मसालों की कीमत ने भी रिकॉर्ड तोड़ दिया।
वहीं गैस सिलेंडर के दाम दो साल में लगभग डबल हो गए है। अप्रैल 2020 में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 752 रु प्रति सिलेंडर थी उसकी आज कीमत 905 से अधिक है। वहीं कर्मिशयल गैस सिलेंडर जो अप्रैल 2020 में 1285 रुपए थी वह आज 2253 रुपए के आसपास है।
मालभाड़ा बढ़ने से और बढ़ेगी महंगाई-पिछले एक पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल के दामों में 10 रूपए से अधिक प्रति लीटर तेजी आने के बाद अब ट्रक ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने मालभाड़ा में 20-25 फीसदी बढ़ोत्तरी करने का एलान कर दिया है। इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि डीजल के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी के साथ-साथ ट्रकों के टायर और स्पेयर पार्टर्स के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है जिसके बाद ट्रक ऑपरेटर्स मालभाड़ा बढ़ाने के लिए मजबूर हो गए है। एसोसिएशन की बैठक में मालभाड़ा में 20-25 फीसदी बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया गया है।
वेबदुनिया से बातचीत में सीएम मुकाती इस बात को मानते है कि माल भाड़ा 20-25 फीसदी बढ़ने से आम आदमी के जेब पर सीधा बोझ पड़ेगा और इसकी रोजमर्रा की जरुरतों का सामान 30 फीसदी तक तुरंत महंगी हो जाएगी। वह कहते हैं कि पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी से आम आदमी का तेल निकल रहा है।