Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

किसान आंंदोलन से निपटना शिवराज सिंह चौहान के लिए अग्निपरीक्षा?

हमें फॉलो करें किसान आंंदोलन से निपटना शिवराज सिंह चौहान के लिए अग्निपरीक्षा?

विकास सिंह

, गुरुवार, 5 दिसंबर 2024 (12:24 IST)
लोकसभा चुनाव के बाद जब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश की राजनीति से दिल्ली बुलाकर मोदी सरकार में कृषि मंत्रालय जैसे अहम विभाग का जिम्मा सौंपा गया था, तब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों से चली थी कि भाजपा आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान की लिए कई नई चुनौती खड़ी कर दी है। हलांकि कृषि मंत्रालय का कामकाज संभालते हुए बीते 6 महीने में शिवराज सिंह चौहान ने अपने सियासी अनुभवों के सहारे किसानों के बीच एक अलग जगह बनाई। लेकिन अब जब देश की राजधानी दिल्ली की  सीमा पर एक बार फिर किसान संगठन आ डटे तो शिवराज के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।

किसान आंदोलन से निपटना शिवराज के लिए अग्निपरीक्षा?-देश में एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की आहट सुनाई देने लगी है। देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर एक बार फिर जोर पकड़ता किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए चुनौती बनता हुआ दिख रहा है। एक ओर नोएडा के किसान अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली कूच के एलान के साथ बॉर्डर पर आ डटे है, वहीं दूसरी ओर पंजाब और हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को MSP  पर कानून की गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली कूच करने की तैयारी में है।

किसान संगठनों के अक्रामक रूख के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने एक अग्निपरीक्षा है। मोदी सरकार ने भले ही अपने पिछले कार्यकाल में तीनों कृषि कानून वापस ले लिया हो, लेकिन किसान अब भी सरकारी रवैये से खुश नहीं हैं। ऐसे में जब किसानों का मुद्दा भाजपा के लिए हमेशा से कमजोर कड़ी साबित होता आया है तब किसान संगठनों एक बार आक्रमक होने कृषि मंत्री शिवराज के लिए बड़ी चुनौती बनता हुआ दिख रहा है।
webdunia

मोदी 3.0 सरकार में कृषि मंत्रालय का कामकाज संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ते हुए दिख रहे है। वहीं उफराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसान आंदोलन के सवालों के बाद शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकत की। माना जा रहा है कि इस मुलाकत किसान आंदोलन को  लेकर विस्तृत बातचीत हुई।

शिवराज सिंह चौहन के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद उन्होंने झारखंड़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन झारखंड के चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं रहे, इसका सीधा असर शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली में बढ़ते सियासी कद पर पड़ा है, ऐसे में अगर शिवराज किसान आंदोलन को सहीं तरह से हैंडल करने में कामयाब हो जाते है तो वह अपनी एक बड़ी अग्निपरीक्षा मे पास हो जाएंगे। वहीं अगर किसान आंदोलन जोर पकड़ता है तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इसका ठीकरा शिवराज सिंह चौहान पर फोड़कर MSP जैसे मुद्दें से अपने को अलग-थलग रखने  की कोशिश करती हुई दिखाई दे सकती है।
ALSO READ: किसान आंदोलन पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के शिवराज से सवाल सरकार की साजिश: राकेश टिकैत
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बढ़ाई शिवराज की मुश्किलें?-एक बार फिर किसान आंदोलन के गर्माने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार पर किसान आंदलन को लेकर सवाल खड़े किए है। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंच पर मौजूद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछते हुए कहा कि कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया?वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं।पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।

MSP गारंटी कानून पर किसान-सरकार आमने-सामने?-तीन साल बाद एक बार किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे है। तीन साल पहले जब किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे  तब उन्होंने MSP गारंटी कानून बनाने की मांग की थी, वहीं सरकार अब तक इस पर आगे बढ़ती हुई नहीं दिख रही है। एक बार फिर किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं अगर सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून बनाती है तो सरकार फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है उससे कम पर कम पर व्यापार करने वाला कोई किसान की फसल खरीदी नहीं कर सकेगा। वह कहते हैं कि MSP गारंटी कानून बनने के बाद बिहार का किसान, झारखंड का किसान, छत्तीसगढ़ का किसान जो सस्ते में अपनी फसल बेचता है तो वह सरकार की MSP से कम रेट पर फसल नहीं बेच पाएगा। MSP  गारंटी कानून नहीं होने से व्यापारी किसानों की फसल की सस्ती खरीद करता है जो नहीं होना चाहिए। किसानों के नाम पर व्यापारी सस्ते में खरीद कर बेचता है।

वहीं एक बार फिर किसानों के सड़क पर आकर आंदोलन करने पर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि 22 जनवरी 2021 को आखिरी बार किसानों औऱ सरकार के बीच बातचीत हुई थी उसके बाद हमारी कोई बात नहीं हुई। सरकार ने किसानों से अपना कोई वादा नहीं निभाया केवल तीन काले कानून वापस किए थे। उसके बाद कोई मांग नहीं पूरी की गई। ऐसे में सरकार को किसानों से बात करना चाही। सरकार औऱ किसानों के बीच बातचीत का एक दौर शुरु होना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

LIVE: शपथ से पहले सिद्धि विनायक मंदिर पहुंचे फडणवीस, किए मुंबा देवी के दर्शन