पणजी। पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की सफलता में ‘बैकरूम’ की भूमिका निभाता है। पर्रिकर ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने जो कुछ किया, वह कल्पना से परे था... उन्होंने प्रवासी भारतीयों को सक्रिय बनाया तथा विभिन्न देशों में अपनों की एक दुनिया रची।
गोवा के मुख्यमंत्री यहां गोवा कला एवं साहित्य उत्सव में बोल रहे थे जहां उन्होंने रणनीतिक विश्लेषक नितिन गोखले की पुस्तक ‘सेक्युरिंग इंडिया द मोदी वे’ लांच की।
पर्रिकर ने कहा कि मोदी ने असली मित्रता रची और उन्हें यह कहते हुए गर्व होता है कि बतौर रक्षामंत्री वह उसका हिस्सा थे क्योंकि विदेशी कूटनीति बस विदेश मंत्रालय की चीज नहीं है।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय विदेश नीति का चेहरा होता है, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी बैकरूम के कर्ता होते हैं। रक्षा मंत्रालय असल (क्रियान्वयन) काम करता है जो किया जाना चाहिए। तटरक्षक बल सेवाएं मजबूत करने के लिए मॉरीशस से हुए समझौतों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब ऑप मॉरीशस की बात करते हैं तो समझौते विदेश मंत्रालय ने किए लेकिन उन्हें लागू करने का काम रक्षा मंत्रालय ने किया।
सितंबर, 2016 में उनके रक्षामंत्री रहने के दौरान नियंत्रण रेखा के पार आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा किए गए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का जिक्र करते हुए पर्रिकर ने कहा कि वह गोपनीयता में यकीन करते हैं लेकिन उन्होंने खुलासा किया कि हमले की योजना बनाने के दौरान मोबाइल फोन बंद कर दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि जब आप किसी भी अलग व्यक्ति से बात करते हैं तो गोपनीयता नहीं बची रहती है। वाकई, सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाते समय मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर 20 मीटर दूर रख दिए गए थे। वे न केवल स्विच ऑफ कर दिए गए, बल्कि 20 मीटर दूर रखे गए थे ताकि कुछ लीक न हो।
उन्होंने कहा कि मुझे बस यह कहने में बड़ा गर्व होता है कि मैंने उरी (आतंकवादी हमले) और वास्तविक (सर्जिकल) स्ट्राइक के बीच करीब 18-19 बैंठकें की होंगी, जिनमें सेना के शीर्ष अधिकारी, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे, लेकिन कुछ लीक नहीं हुआ।
पर्रिकर ने कहा कि हमने कुछ अधिकारियों को (दूसरे देशों की राजधानियों में) मौके के हिसाब से तत्काल (आयुधों) की खरीदारी करने का अधिकार के साथ भेजा था। जब आप कुछ करते हैं तो आपकी तैयारी यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण हो ताकि हर चीज सही का ध्यान रखा जाए।
पूर्व रक्षामंत्री ने कहा, 'लेकिन जब आप किसी को नहीं बताते हैं तो आपके अंदर दबाव बढ़ता है। सामान्यत: दबाव किसी दोस्त से चर्चा कर हल्का होता है लेकिन रक्षा में आप ऐसी स्थिति में नहीं होते हैं कि आप किसी मुद्दे पर किसी से बात करें, चाहे म्यामां का सर्जिकल स्ट्राइक हो या पीओके का। मैं दबाव के कारण करीब करीब सो नहीं पाया।' (भाषा)