अंबाला। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 5 राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने के उपलक्ष्य में रखे गए समारोह के जरिए पूर्वी लद्दाख में चीन की आक्रामकता पर उसे एक कड़ा संदेश देते कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा भारत की बड़ी प्राथमिकता है और वह अपने क्षेत्र को संरक्षित रखने के लिए दृढ़ संकल्प है। भारत की सीमा के आस-पास बन रहे माहौल को देखते हुए राफेल विमानों का भारतीय वायुसेना में शामिल होना अहम है।
राफेल विमानों को वायुसेना में औपचारिक तौर पर शामिल किए जाने के समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया, खासकर जो भारत की संप्रभुता पर नजर रखे हुए हैं, उनके लिए एक कड़ा संदेश है।
पड़ोसी देश को सिंह का यह सख्त संदेश विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच संभावित बैठक से कुछ घंटे पहले आया है। यह बैठक मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर होगी। यह बहुप्रतीक्षित वार्ता पूर्वी लद्दाख में बहुत बढ़ गए तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास दोनों देश की सेनाओं के बीच नए सिरे से आमना-सामना होने के बाद तनाव बढ़ गया है।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत की जिम्मेदारी उसकी क्षेत्रीय सीमा तक सीमित नहीं हैं और वह हिन्द-प्रशांत और हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। ये दोनों क्षेत्र वे हैं, जहां चीन अपनी सैन्य आक्रामकता बढ़ा रहा है। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए कहा कि हाल के दिनों में हमारी सीमाओं पर बन रहे वातावरण के लिए इस प्रकार का समावेशन (राफेल शामिल करना) बहुत जरूरी है।
सिंह ने एलएसी के पास हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान त्वरित कार्रवाई करने के लिए भारतीय वायुसेना की सराहना भी की, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि जिस गति से वायुसेना ने अग्रिम चौकियों पर हथियारों की तैनाती की, उससे आत्मविश्वास बढ़ता है। हमारी सीमा पर बन रही स्थिति जहां हमारा ध्यान खींचती है, वहीं हमें आतंकवाद के खतरे को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
इस मौके पर एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए राफेल विमानों को बे़ड़े में शामिल करने का इससे उचित वक्त नहीं हो सकता था। भारतीय सेना ने मंगलवार को कहा था कि चीनी सैनिकों ने 7 सितंबर की शाम पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के पास भारतीय ठिकाने के करीब आने की कोशिश की और हवा में गोलियां चलाईं।
सेना ने यह बयान तब दिया, जब चीन की पीएलए ने सोमवार रात आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास चेतावनी में गोलियां दागीं। पिछले शुक्रवार को मॉस्को में एससीओ की अन्य बैठक से इतर रक्षामंत्री सिंह और उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही के बीच हुई बैठक का साफतौर पर कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। (भाषा)