नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गर्भवती महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उसे 33 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में मां का फैसला ही सर्वोपरि होगा।
हाई कोर्ट ने सोमवार को LNJP अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करने और कुछ अन्य डॉक्टरों की राय सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। मेडिकल बोर्ड ने निगेटिव रिपोर्ट दी जिसमें गर्भपात से इनकार किया गया।
याचिकाकर्ता महिला ने अपने 33 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा गया था कि गर्भधारण के बाद से याचिकाकर्ता ने कई अल्ट्रासाउंड कराए।
अधिवक्ता अनीश मधुकर ने अदालत से कहा था कि मस्तिष्क विकृति की पहचान की गई है। प्रसव के बाद बच्चा सामान्य बच्चा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जीटीबी अस्पताल के डॉक्टरों ने गर्भपात से इनकार नहीं किया, उन्होंने केवल अदालत से आदेश मांगा।