Delhi liquor policy case : CBI का अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अंतिम आरोप पत्र, दिल्ली शराब घोटाला की जांच पूरी
मनीष सिसोदिया और के. कविता और 15 अन्य सहित हैं आरोपी
Delhi liquor policy case News : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में जांच पूरी करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और 5 अन्य के खिलाफ सोमवार को अपना अंतिम आरोप पत्र दाखिल किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सीबीआई ने इससे पहले इस मामले में एक मुख्य आरोप-पत्र और चार पूरक आरोप-पत्र दाखिल किए थे, जिनमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना की विधान पार्षद के. कविता और 15 अन्य को आरोपी बनाया गया था। एजेंसी ने कहा कि सोमवार को दाखिल किया गया आरोपपत्र इस मामले में अंतिम आरोपपत्र है।
इन्हें भी बनाया आरोपी : सीबीआई ने केजरीवाल, आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दुर्गेश पाठक, अरबिंदो फार्मा के गैर-कार्यकारी निदेशक पी सरथ चंद्र रेड्डी, बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, कथित हवाला कारोबारी विनोद चौहान और व्यवसायी आशीष माथुर को आरोपी बनाया है।
एजेंसी ने के. कविता के खिलाफ अपने आरोपपत्र में कहा था कि शराब व्यवसायी मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी (तेलुगु देशम पार्टी के नेता एवं सांसद) ने 16 मार्च, 2021 को दिल्ली सचिवालय स्थित केजरीवाल के कार्यालय में उनसे मुलाकात की थी और उनसे आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव करने का अनुरोध किया था, ताकि राष्ट्रीय राजधानी में उनके शराब कारोबार को मदद मिल सके।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने रेड्डी की मदद करने का आश्वासन दिया था और उनसे आरोपी के. कविता से संपर्क करने को कहा था, क्योंकि वह दिल्ली की आबकारी नीति पर उनकी टीम के साथ मिलकर काम कर रही थीं।
उसने आरोप लगाया था कि बदले में केजरीवाल ने रेड्डी से उनकी आम आदमी पार्टी (आप) को धन मुहैया कराने को कहा था। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि दक्षिण भारत में शराब कारोबार से जुड़े कुछ लोगों ने सह-आरोपियों विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के माध्यम से 2021-22 की आबकारी नीति में बदलाव करने के लिए दिल्ली में सत्तारूढ़ आप के कुछ नेताओं और अन्य लोक सेवकों को लगभग 90-100 करोड़ रुपये की रिश्वत पेशगी के रूप में दी थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि यह रिश्वत एल-1 लाइसेंस रखने वाले थोक विक्रेताओं के मुनाफा मार्जिन से बाद में विभिन्न तरीकों से उन्हें वापस कर दी गई थी।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उक्त नीति के तीन हितधारकों-शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं-ने प्रावधानों का उल्लंघन करके और नीति की भावना के विरुद्ध एक गुट बनाया था।
उसने कहा था कि सभी साजिशकर्ताओं ने इस आपराधिक साजिश के अवैध उद्देश्यों को हासिल करने में कथित तौर पर सक्रिय भूमिका निभाई। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और साजिश में शामिल सरकारी कर्मचारियों और अन्य आरोपियों को अनुचित आर्थिक लाभ हुआ। इनपुट एजेंसियां