Kailash Mansarovar Yatra : भारत और चीन ने सोमवार को संबंधों के पुनर्निर्माण के लिए कई उपायों की घोषणा की जिसमें इस साल गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करना और सीधी उड़ानें बहाल करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत होना शामिल है। मिसरी ने रविवार को बीजिंग की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य चीन के साथ बातचीत करना था। पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था और सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता के ढांचे के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग ई के साथ बातचीत की थी। 2020 से पहले हर साल हजारों लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते थे।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी की चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के साथ बीजिंग में व्यापक वार्ता के बाद इन निर्णयों की घोषणा की गई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमापार नदियों से संबंधित आंकड़ों और अन्य सहयोग का प्रावधान पुनः शुरू करने को लेकर चर्चा के लिए भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की बैठक शीघ्र बुलाने पर भी सहमति व्यक्त की।
विदेश मंत्रालय के अनुसार विदेश सचिव ने विदेश मंत्री वांग ई और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ से भी मुलाकात की। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मिसरी और सुन ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की और संबंधों में स्थिरता और पुनर्निर्माण करने के लिए कुछ जनकेंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।
इसमें कहा गया, इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने का फैसला किया। प्रासंगिक तंत्र मौजूदा समझौतों के अनुसार ऐसा करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, वे दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर शुरू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए। दोनों पक्षों के संबंधित तकनीकी अधिकारी जल्द ही इसके लिए एक अद्यतन रूपरेखा पर बातचीत करेंगे।
इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने मीडिया और थिंक टैंक के बीच बातचीत आदि को अधिक बढ़ावा देने और सुविधाजनक बनाने के लिए उचित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की। इसमें पिछले वर्ष अक्टूबर माह में कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता का भी उल्लेख किया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में कज़ान में हुई बैठक में सहमति बनी थी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें 2020 में निलंबित कर दी गईं थीं। विदेश मंत्रालय ने कहा, दोनों पक्षों का मानना है कि 2025 जो भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है, का उपयोग एक-दूसरे के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करने और जनता के बीच आपसी विश्वास और भरोसा बहाल करने के लिए सार्वजनिक कूटनीति प्रयासों को दोगुना करने के लिए किया जाना चाहिए।
मिसरी ने रविवार को बीजिंग की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य चीन के साथ बातचीत करना था। पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था और सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता के ढांचे के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग ई के साथ बातचीत की थी।
धार्मिक मान्यता और इतिहास : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी के पास कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।
कैलाश पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां इसकी महिमा का गुणगान किया गया है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है।
वैज्ञानिक मान्यता : वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्थान धरती का केंद्र है। धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचोबीच स्थित है हिमालय। हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत और मानसरोवर। वैज्ञानिक मानते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप के चारों ओर पहले समुद्र होता था। इसके रशिया से टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ। यह घटना अनुमानत: 10 करोड़ वर्ष पूर्व घटी थी।
चीन के कब्जे में है बड़ा इलाका : कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है, इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति लेनी जरूरी होती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते हैं, इसलिए यह जगह हिंदुओं के लिए काफी पवित्र है। 2020 से पहले हर साल हजारों लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते थे।
Edited By : Chetan Gour