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अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर देशभर में कहीं जश्न का माहौल तो कहीं विरोध के सुर

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, सोमवार, 5 अगस्त 2019 (23:21 IST)
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले पर देश के विभिन्न हिस्सों में कहीं जश्न का महौल है तो कहीं विरोध भी हो रहा है।
 
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में लोगों ने इसका स्वागत किया है, हालांकि इस राज्य के पास भी विशेष प्रावधन हैं। अनुच्छेद 371 अरुणाचल प्रदेश को कानून-व्यवस्था पर राष्ट्रपति के निर्देशों को लेकर राज्यपाल को विशेष शक्ति प्रदान करता है।
 
इस राज्य की बड़ी आबादी ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि जम्मू-कश्मीर में विकासशील गतिविधियों से शांति आएगी। यहां के कारोबारी पी. चेडा ने दावा किया कि अब पाकिस्तान प्रायोजित सीमापार आतंकवाद पर नियंत्रण पाना सरकार के लिए आसान रहेगा।
 
उन्होंने कहा कि अगर अरुणाचल प्रदेश को दोबारा केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा मिल जाए तो यहां ज्यादा विकास होगा। देश के इस सबसे पूर्वी छोर के राज्य अरुणाचल प्रदेश को असम से अलग करके जनवरी 1972 में केंद्र शासित क्षेत्र बनाया गया था। इसके 15 साल बाद 1987 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और यह भारत का 23वां राज्य बन गया, वहीं एक वरिष्ठ नागरिक टी. गाडी ने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां कम होंगी।
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जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का जश्न जम्मू में निषेधाज्ञा के बावजूद लोग मना रहे हैं। लोग ने यहां ढोल बजाए और मिठाइयां बांटी।

लोगों ने इस कदम को साहसिक, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना है कि इससे क्षेत्र को न्याय मिला है, जो हमेशा राजनीतिक ढांचे की वजह से भेदभाव की शिकायत करते आया है।
 
जम्मू में मौजूद घाटी के अरशिद वारसी ने कहा कि कितने समय तक वे हमें नजरबंद रखेंगे? अनुच्छेद 370 खत्म करने का मतलब यह नहीं है कि वे अपना विरोध दर्ज नहीं कराएंगे, वहीं कारोबारी जलील अहमद भट्ट ने कहा कि घाटी में अनिश्चितता का मतलब है कि अनिश्चितकाल तक अपना कारोबार बंद करना और कमाई खोना, वहीं दिल्ली से लौट रहे फयाद अहमद डार ने कहा कि घाटी के मौजूदा घटनाक्रम ने उनका दिल तोड़ दिया। डार अपनी बहन की शादी की खरीददारी करके दिल्ली से लौट रहे थे।
 
उत्तरप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अर्से से बसे कश्मीरी पंडितों ने सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर जश्न मनाया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनमें अपनी पैतृक भूमि लौटने की उम्मीद जगी है।
 
कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर के सचिव रवि काचरू ने कहा कि केंद्र सरकार का यह ऐतिहासिक कदम उस घाटी में एक बार फिर अमन कायम होने के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा जिससे हमें बरसों पहले जबरन निकाल दिया गया था।
 
काचरू ने कहा कि घाटी में शांति स्थापित करने के लिए अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का बहुप्रतीक्षित कदम आखिर आज सोमवार को उठा ही लिया गया। हम खुश और आश्वस्त हैं कि कश्मीर घाटी में अमन-चैन लौटेगा और दुनिया को असली कश्मीरियत के दीदार होंगे जिसके लिए वह विश्वविख्यात है।
 
हरियाणा और पंजाब में भी लोगों ने सोमवार को इस फैसले का स्वागत करते हुए मिठाइयां बाटी। छात्रों के एक समूह ने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज थामे और 'भारतमाता की जय' तथा 'वंदे मातरम्' का नारा लगाते हुए केंद्र सरकार के इस कदम को जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्वतंत्रता करार दिया।
 
पंजाब विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा कि यह नए भारत की शुरुआत है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नहेरू की गलती को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक किया है। यह एक बड़ा फैसला है। हरियाणा, सिरसा, अंबाला, रोहतक, फतेहाबाद में भी लोगों ने मिठाइयां बांटीं।
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कोलकाता में कश्मीर सभा के अध्यक्ष पिना मिसरी ने कहा कि यह देश के लिए अच्छा है। हम एक हैं। हमें एक होना चाहिए। हमें अपने आपको बांटना नहीं चाहिए। कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाई ग्लोबल कश्मीर पंडित डायस्पोरा (जीकेपीडी) ने कहा कि यह फैसला क्षेत्रीय, राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता को जोड़ता है।
 
मिजोरम विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर लाल्लीचुंगा ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत राजग सरकार संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है और एकात्म सरकार की तरफ बढ़ रही है, वहीं एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रियोचो ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक हरिसिंह द्वारा 26 अक्टूबर 1947 के विलयपत्र का केंद्र सरकार ने सम्मान नहीं किया है।
 
राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले सेवानिवृत्त सैनिक ताराचंद ने कहा कि यह सैनिकों के लिए गर्व और सम्मान का क्षण है। उत्तरप्रदेश से जैसलमेर घूमने आए युवाओं के एक समूह ने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार होने में मदद मिलेगी।
 
तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के चिल्कुर स्थित भगवान बालाजी मंदिर के पुजारी सीएस रंगराजन ने कहा कि कश्मीर हमारे सनातन धर्म का सभ्यता स्थल रहा है। कश्मीर सांस्कृतिक रूप से अलग-थलग था, अब हमारे पास कश्मीर को सांस्कृतिक तौर पर भारत की संस्कृति से दोबारा जोड़ने का मौका है। 
 
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मैं इस ऐतिहासिक फैसले का लंबे समय से इंतजार कर रहा था। आज अंग्रेजों की खराब नौकरशाही की हार हुई। तेलुगु फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध निर्माता तमारेड्डे भारद्वाज ने देश में एक कानून होने का पक्ष लेते हुए लोगों की जीवनशैली में सुधार पर जोर दिया।
 
पटना के एएन सिन्हा राजनीतिक विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि सिद्धांतत: मैं 370 को खत्म करने के पक्ष में हूं लेकिन जिस तरह से राज्य के लोगों को बिना विश्वास में लिए यह किया जा रहा है, वह सही नहीं है।
 
सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष और निक्को समूह के अध्यक्ष राजीव कौल ने कहा कि मैं खुश हूं कि कश्मीर स्पष्ट और पूर्ण रूप से अब हमारे देश का हिस्सा है। मेरे सहित कोई भी भारतीय जो पैतृक रूप से विस्थापित है और बंगाल का गोद लिया बेटा है, वह वापस लौट सकता है और जमीन खरीद सकता है।
 
केरल में इस मामले में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ इसको लेकर उत्साहित हैं और कुछ सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं। शहर में एक रेस्तरां चलाने वाले मधु इस घटनाक्रम को लेकर निराश हैं। उनका मानना है कि संसद के दोनों सदनों में इसको लेकर जितना विरोध होना चाहिए था, वैसा कुछ हुआ नहीं। उनका कहना है कि भाजपा अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए ऐसा कर रही है।
 
हालांकि यहां एक निजी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा पद्मावती ने कहा कि वह केंद्र में एक मजबूत सरकार से खुश है, वहीं एक वकील बीनू का कहना है कि राज्य को अलग करना भाजपा का निरंकुश शासन दिखाता है और यह दर्शाता है कि उनके मन में संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

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