नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार पर भाजपा नेताओं की जासूसी के आरोप लगे हैं। सीबीआई ने दावा किया कि 2015 में आम आदमी सरकार ने नेताओं और अफसरों की जासूसी कराई थी। इसके लिए एक फीडबैक यूनिट बनाई गई थी।
सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित फीडबैक यूनिट (एफबीयू) ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र की। सीबीआई ने इस मामले में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की है।
सीबीआई ने कहा कि आप सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों और स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी और कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और “ट्रैप केस” के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। इकाई ने गोपनीय सेवा व्यय के लिए एक करोड़ रुपए के प्रावधान के साथ 2016 में काम करना शुरू किया।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था। उसने आरोप लगाया कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक संदर्भ पर प्रारंभिक जांच दर्ज की। सतर्कता विभाग ने एफबीयू में अनियमितताओं का पता लगाया था। एजेंसी ने कहा, प्रथम दृष्टया 'दोषी लोक सेवकों' द्वारा नियमों, दिशानिर्देशों और परिपत्रों का जानबूझकर उल्लंघन किया गया था।
भाजपा नेता मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा कि छिपकर बातें सुन रही है AAP, दिल्ली की फीडबैक यूनिट जासूसी कर रही है। उन्होंने कहा कि आप के नेता दिल्ली के लिए काम नहीं, दिल्ली के टैक्सपेयर्स के पैसे से अवैध तरीके से जासूसी करते हैं।
हालांकि आप सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने दावा किया कि सीबीआई, ईडी और दिल्ली पुलिस ने हम में 163 केस दर्ज किए हैं। एक में भी हम दोषी नहीं पाए गए हैं। इनमें से 134 मामले कोर्ट ने खारिज कर दिए हैं।