डोकलाम विवाद के मामले में चीन भारत को रोज नई-नई धमकी दे रहा है। हाल ही में उसने भारत से दो हफ्ते में अपनी सेना हटाने के लिए कहा है नहीं तो युद्ध छेड़ देगा, लेकिन, भारत का कहना है कि चीन युद्ध छेड़कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है और न ही वो किसी छोटे सैन्य ऑपरेशन की तैयारी में है।
भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के लिए अपनी-अपनी 'प्रतिष्ठा बचाने' का एक उपाय यह हो सकता है कि दोनों के एक साथ डोकलाम से अपनी सेनाओं को वापस बुला लें। हालांकि सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर युद्ध की नौबत आती भी है, तो भी भारतीय सेना उसके लिए पूरी तरह तैयार है और वह चीन के किसी भी हमले का जवाब देने में सक्षम है।
सूत्रों का ये भी कहना है कि भारत चीन के युद्ध के हर सवाल का जवाब देने को तैयार है इसके लिए भारतीय सेना भी दमखम से अपनी पूरी ताकत से मौजूद है। हालांकि इस विवाद पर भारत का साफ कहना है कि डोकलाम विवाद का हल जंग नहीं है। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी संसद में कह चुकी हैं कि द्विपक्षीय वार्ता, धैर्य और भाषा का संयम ही इस विवाद का निपटारा कर सकता है।
डोकलाम विवाद को करीब दो महीने होने वाले हैं। इन दो महीनों के बीच भारत ने चीन की सड़क निर्माण बनाने की योजना पर पानी फेर दिया है जिसके चलते दोनों पड़ोसी देश में तनाव और ज्यादा गहरात चला गया।
एक सूत्र ने कहा, 'दोनों देश टकराव नहीं चाहते। डोकलाम में चीनी सैनिकों ने सड़क निर्माण की कोशिश की और भारतीय सैनिकों ने उसे रोक दिया। इसके बाद स्थिति बिगड़ती चली गई और तनवा बढ़ता गया। ऐसे में अब दोनों देश एक साथ अपने सैनिक पीछे हटाने को राजी हो जाते हैं तो दोनों की प्रतिष्ठा बची रहेगी।'
11,000 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित डोकलाम में इस समय दोनों देशों के 300-500 सैनिक तैनात हैं। एक सूत्र ने कहा, 'डोकलाम में चीनी सेना को तीन स्तरों पर 1500 सैनिकों को तैनात किया है जो पीछे से समर्थन दे रहे हैं।'
उल्लेखनीय है कि डोकलाम विवाद का असर अक्टूबर में भारत और चीन की सेना के बीच होने वाले सैन्य अभ्यास पर पड़ सकता है। एक अन्य सूत्र ने कहा, 'इस अभ्यास को लेकर शुरुआती प्लानिंग संबंधी कॉन्फ्रेंस भी अभी तक नहीं हो पाई है, जबकि इस संबंध में चीन को कई बार याद दिलाया जा चुका है।' (एजेंसी)