नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि केंद्र ने उनकी सरकार की घर-घर राशन योजना को क्यों रोका। उन्होंने कहा कि इस योजना को राष्ट्रहित में मंजूरी दी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में घर-घर राशन योजना सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू होनी चाहिए, क्योंकि राशन की दुकानें सुपरस्प्रेडर हैं। केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों की सरकारों से लड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतने मुसीबत के समय केंद्र सरकार सबसे झगड़ रही है।
आप (केंद्र) ममता दीदी से, झारखंड सरकार से, लक्षद्वीप के लोगों से, महाराष्ट्र सरकार से, दिल्ली के लोगों से और किसानों से लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के बजाय आपस में ही लड़ेंगे तो महामारी कैसे निपटेंगे।
केजरीवाल ने एक डिजिटल पत्रकार वार्ता में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं बेहद व्यथित हूं और मैं सीधे आपसे बात करना चाहता हूं… दिल्ली में अगले हफ्ते से घर-घर राशन पहुंचाने का काम शुरू हो जाना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी तैयारियां हो चुकी थीं और यह क्रांतिकारी कदम होने वाला था, लेकिन अचानक दो दिन पहले आपने (प्रधानमंत्री) इसे रोक दिया। क्यों सर आपने ऐसा क्यों किया?”
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पिछले 75 साल से गरीब जनता राशन माफिया का शिकार होती आई है और हर महीने फाइलों में उसके लिए राशन जारी होता है, लेकिन उसे मिलता नहीं है। अधिकांश राशन चोरी हो जाता है।
उन्होंने कहा कि इस राशन माफिया के तार बहुत ऊपर तक हैं और 75 साल तक कोई सरकार इस माफिया को खत्म करने की हिम्मत नहीं कर पाई और दिल्ली में पहली सरकार आई है जिसने यह हिम्मत दिखाई है। घर-घर राशन व्यवस्था लागू हो जाती तो यह राशन माफिया खत्म हो जाता।
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि देखिए यह राशन माफिया कितना ताकतवर निकला। इस योजना के लागू होने से एक हफ्ते पहले उन्होंने इस योजना को खारिज करवा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस आधार पर इस योजना को रोका है कि दिल्ली सरकार ने उनसे इसकी मंजूरी नहीं ली।
उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन योजना के लिए केंद्र सरकार से पांच बार मंजूरी ली है और कानूनन दिल्ली सरकार को यह योजना लागू करने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत नहीं थी फिर भी मंजूरी ली गई, क्योंकि वे केंद्र सरकार के साथ कोई विवाद नहीं चाहते थे।
केजरीवाल ने कहा कि मार्च में केंद्र सरकार ने योजना को लेकर जो आपत्तियां लगाई थीं, उन्हें मान लिया गया था। उन्होंने कहा कि लोग पूछ रहे हैं जब इस देश में, पिज्जा,बर्गर, स्मार्टफोन और कपड़ों की होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन को घर क्यों नहीं पहुंचाया जा सकता है।
केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने बताया है कि 'चूंकि राशन दुकानदारों ने इस योजना के खिलाफ उच्च न्यायालय में मुकदमा किया हुआ है, इसलिए यह योजना खारिज की जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राशन दुकानदार इस योजना के खिलाफ उच्च न्यायालय से स्थगन लेने गए थे, लेकिन वहां से उन्हें कामयाबी नहीं मिली तो केंद्र सरकार इसपर कैसे स्थगन लगा सकती है? उन्होंने कहा कि अदालत में चल रहे मामले में केंद्र सरकार भी एक पक्ष है और उसने अदालत में दिल्ली सरकार की इस योजना के बारे में एक भी आपत्ति नहीं की है।
केजरीवाल ने कहा कि कहा जा रहा है कि तीसरी लहर (महामारी की) बच्चों पर भारी होगी और राशन की दुकानों पर लगने वाली भीड़ से अगर उनके माता-पिता कोरोना पीड़ित हो गए तो उनके बच्चे भी कोरोना से ग्रसित हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथ जोड़कर दिल्ली के 70 लाख लोगों की ओर से इस योजना लागू करने की अपील करता हूं। मैंने अब तक राष्ट्रहित के सभी कामों में आपका साथ दिया है और आप राष्ट्रहित के इस काम में हमारा साथ दें। केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा था कि उपराज्यपाल ने राशन योजना को खारिज कर दिया है और योजना के लिए केंद्र से मंजूरी नहीं ली गई थी तथा इस बाबत मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।