नई दिल्ली। कोरोना वायरस के उत्परिवर्तन पर नजर रखने वाले एक वैश्विक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि पहली बार महाराष्ट्र में सामने आए दोहरे उत्परिवर्तन वाले (Double Mutation) वायरस की भारत में 10 प्रतिशत संचयी मौजूदगी है। इसके बारे में कुछ वैज्ञानिकों ने यहां कहा कि यह निष्कर्ष पर्याप्त डेटा पर आधारित नहीं है तथा इस बारे में और अधिक अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।
अमेरिका स्थित स्क्रिप्स रिसर्च के अनुसार वायरस के भारत में पाए गए उत्परविर्तन वाले सभी स्वरूपों में से बी.1.617 लिनीज, जिसे दोहरे उत्परिवर्तन वाला वायरस भी कहा जाता है, की सर्वाधिक संचयी मौजूदगी है।
इस पर विशेषज्ञों ने कहा कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के चलते सभी राज्यों से मिलने वाले प्रतिरूपात्मक नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग आवश्यक है। यहां स्थित सीएसआईआर-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायलॉजी के निदेशक अनुराग अग्रवाल और विषाणु विज्ञानी उपासना राय ने कहा कि यद्यपि दोहरे उत्परिवर्तन वाले वायरस ने ध्यान आकृष्ट किया है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह वायरस का सर्वाधिक मौजूदगी वाला स्वरूप है या भारत में महामारी की दूसरी लहर के लिए यही स्वरूप जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में भारत से संबंधित आंकड़ों का अपूर्ण वर्णन है और देश के विभिन्न क्षेत्रों में वायरस के विभिन्न मुख्य स्वरूप हैं।