Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान, चीनी निवेश का समर्थन : आर्थिक समीक्षा

हमें फॉलो करें आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान, चीनी निवेश का समर्थन : आर्थिक समीक्षा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , सोमवार, 22 जुलाई 2024 (22:41 IST)
Economic growth rate expected to be up to 7 percent : बजट से पहले पेश सरकार की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 7.0 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने का सतर्क अनुमान जताया गया है। साथ ही इसमें अर्थव्यवस्था में अधिक नौकरियां सृजित करने की जरूरत के साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन से अधिक प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का समर्थन किया गया है।
 
आर्थिक समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कार्यालय ने तैयार की है। इसमें खाद्य पदार्थों को छोड़कर, मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय करने पर गौर करने का भी सुझाव दिया गया है। प्राय: खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतें मांग के बजाय आपूर्ति की समस्या के कारण होती हैं।
 
इसमें बढ़ते शेयर बाजार को लेकर भी आगाह किया गया है। खुदरा निवेशकों की भागीदारी काफी बढ़ी है और अति आत्मविश्वास तथा ज्यादा रिटर्न की उम्मीदों के कारण सट्टेबाजी की संभावना है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश समीक्षा में अप्रैल में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
 
यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल 2023 से मार्च 2024) की 8.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में कम है। साथ ही यह चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई के 7.2 प्रतिशत अनुमान से भी कम है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर समीक्षा की प्रस्तावना में लिखा, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बीच बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अतिरिक्त क्षमता वाले देशों से सस्ते आयात की आशंका निजी पूंजी के निर्माण को सीमित कर सकती है। समीक्षा में यह स्वीकार किया गया है कि इस वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान जताते समय सतर्कता बरती गई है और यह बाजार की अपेक्षाओं से कम है। इस सतर्क रुख का कारण निजी क्षेत्र के निवेश की गति धीमी होने के साथ ही मौसम प्रतिरूप का अनिश्चित होना है।
 
इसमें कहा गया है कि मध्यम अवधि में यदि संरचनात्मक सुधार लागू किए गए तो टिकाऊ आधार पर सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर की संभावना बनती है। बजट से एक दिन पहले पेश समीक्षा में निजी निवेश को बढ़ावा देने, छोटी कंपनियों और कृषि क्षेत्र को मजबूत करने का सुझाव दिया गया है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन बढ़ाने, छोटी कंपनियों के लिए कारोबार को सुगम बनाने और आय असमानता पर गौर करने की भी बात कही गई है।
इसमें कहा गया है कि प्राथमिकताओं में शिक्षा और रोजगार के बीच अंतर को पाटना भी शामिल होना चाहिए। समीक्षा में रोजगार सृजन के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने को लेकर श्रम सुधारों के क्रियान्वयन में तेजी लाने का भी आह्वान किया गया है। देश में बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है।
 
समीक्षा की प्रस्तावना में सीईए ने कहा कि रोजगार सृजन मुख्य रूप से निजी क्षेत्र में होता है। दूसरा, कई मुद्दे हैं जो आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और उत्पादकता को प्रभावित करते हैं और उनपर उठाए जाने वाले कदम राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा, इसलिए दूसरे शब्दों में, देश के लोगों की ऊंची और बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को पहले से कहीं अधिक त्रिपक्षीय समझौते की जरूरत है।
समीक्षा में चीन से प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने और उस देश से आयात को कम करने का आह्वान किया गया। सीमा पर झड़पों के बाद 2020 से तनावपूर्ण संबंधों के बीच, इसमें कहा गया है कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, भारत या तो चीन की आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत हो सकता है या चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे सकता है।
 
इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका में भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक बेहतर लगता है। कुछ ऐसा ही पूर्वी एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने पूर्व में किया था। इसमें कहा गया है कि एफडीआई रणनीति चुनना व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक फायदेमंद लगता है, क्योंकि यह चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को रोक सकता है।
 
उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी में 2020 की झड़पों के बाद भारत ने टिकटॉक जैसे 200 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया और इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता बीवाईडी के एक बड़े निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया। चीनी नागरिकों के लिए वीजा प्रक्रिया भी धीमी हो गई।
 
समीक्षा में मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है, खाद्य पदार्थों को छोड़कर, महंगाई का लक्ष्य तय करने पर विचार करना चाहिए। प्राय: खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतें मांग के बजाय आपूर्ति की समस्या के कारण होती हैं। वर्तमान में केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.08 प्रतिशत थी लेकिन मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति लगभग तीन प्रतिशत थी। मुख्य मुद्रास्फीति में भोजन और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं होती हैं। समीक्षा में कहा गया है, इसलिए इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि क्या देश में मुद्रास्फीति के लक्ष्य से संबंधित रूपरेखा में खाद्य पदार्थ को छोड़कर महंगाई दर को लक्षित करना चाहिए।
 
वहीं गरीब और कम आय वाले उपभोक्ताओं को खाने के सामान की ऊंची कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या उचित अवधि के लिए निर्धारित वस्तुओं की खरीद को लेकर कूपन के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें लोगों मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते मामलों को भी चिह्नित किया गया। इसमें कहा कि इससे उत्पादकता में कमी आती है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Budget 2024 : बस कुछ घंटे शेष, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का बजट, आंकड़ों पर एक नजर