नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोयला लेवी धनशोधन मामले में जारी जांच के तहत सोमवार को कांग्रेस नेताओं से जुड़े 14 परिसरों सहित छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर छापेमारी की।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह छापेमारी राज्य की राजधानी रायपुर में 24-26 फरवरी तक कांग्रेस के 3 दिवसीय पूर्ण अधिवेशन से पहले हुई है। राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है।
अधिकारियों ने कहा कि ईडी द्वारा उन लोगों की जांच की जा रही है, जो वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए कथित कोयला लेवी घोटाले के अपराध की आय के लाभार्थी रहे हैं।
एजेंसी के अनुसार, ईडी की जांच एक बड़े घोटाले से संबंधित है जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनीतिक नेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक गिरोह द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रत्येक टन कोयला ढुलाई पर 25 रुपए की अवैध उगाही की जा रही थी।
मामले में अब तक राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और एक कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
प्रतिशोध और उत्पीड़न की राजनीति : कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने छापे पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा उद्योगपति गौतम अडाणी की जांच क्यों नहीं की जा ही है, जबकि उनके गैरकानूनी कारनामे रोजाना सामने आ रहे हैं?
उन्होंने कहा कि यह प्रतिशोध और उत्पीड़न की राजनीति है। हमारे अधिवेशन से तीन दिन पहले कई साथियों के यहां छापे मारे गए हैं। इस धमकी की राजनीति से हम झुकने वाले नहीं हैं। रमेश ने कहा कि हमारा पूर्ण अधिवेशन होकर रहेगा। यह कार्रवाई हमारे लिए बूस्टर डोज है। हम डरने वाले नहीं हैं।
उन्होंने अडाणी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए सवाल किया कि हमारे देश का सबसे बड़ा घोटाला है जिससे प्रधानमंत्री खुद जुड़े हैं। प्रधानमंत्री के पसंदीदा उद्योगपति गौतम अडाणी के गैरकानूनी कारनामे रोज सामने आ रहे हैं। इसकी जांच क्यों नहीं होती? रमेश का कहना था कि हम भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से जो परिवर्तन लाए हैं, वो बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा कि यह अमृतकाल नहीं, अघोषित आपातकाल है।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने दावा किया कि 2014 के बाद से ईडी छापे की जितनी कार्रवाई हुई है उनमें से 95 प्रतिशत कार्रवाई विपक्षी दलों एवं उनके नेताओं को निशाना बनाकर की गई है।