नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र से जुड़े कथित मनी लांड्रिंग के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से सोमवार को 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। ईडी ने राहुल से मंगलवार को दोबारा पेश होने के लिए कहा। राहुल गांधी की पेशी पर सोमवार को कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दिल्ली समेत देश के कई शहरों में ईडी कार्यालयों के बाहर सत्याग्रह किया और मार्च निकाला, जिसे पार्टी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है।
मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि दिल्ली पुलिस की धक्का-मुक्की के कारण पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम समेत उसके कई नेताओं को चोटें आई हैं। हालांकि पुलिस ने कहा है कि उसकी तरफ से कोई बल प्रयोग नहीं किया गया और पुलिसकर्मियों के कारण किसी के चोटिल होने की जानकारी उसके पास नहीं है।
अधिकारियों ने बताया कि राहुल गांधी सुबह करीब 11.10 बजे एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी के मुख्यालय पहुंचे और करीब 20 मिनट तक कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने और उपस्थिति दर्ज कराने के बाद उनसे पूछताछ शुरू की गई।
राहुल गांधी को दोपहर करीब 2 बजकर 10 मिनट पर भोजन के लिए ईडी मुख्यालय से बाहर जाने की इजाजत दी गई थी। भोजनावकाश के बाद वह दिन में करीब तीन बजकर 30 मिनट पर फिर ईडी के समक्ष पेश हुए। पूछताछ के बाद राहुल रात करीब 11 बजे ईडी के दफ्तर से बाहर निकले। समझा जाता है कि राहुल गांधी ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून की धारा 50 के तहत अपना बयान लिखित रूप से दिया।
सुबह पूछताछ के लिए राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय से ईडी दफ्तर पहुंचे। इस मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता वहां पहुंचे और राहुल गांधी के प्रति अपना समर्थन जताया। राहुल गांधी का काफिला जब ईडी मुख्यालय पहुंचा तो गाड़ी में उनके बगल में प्रियंका गांधी भी बैठी हुई थीं।
कांग्रेस के मार्च और सत्याग्रह को देखते हुए पुलिस ने 24 अकबर रोड (कांग्रेस मुख्यालय) जाने वाले कई रास्तों पर अवरोधक लगा दिए थे और इलाके में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी थी। इसे लेकर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यालय के निकट सिर्फ बुलडोजर नहीं दिख रहा है। कांग्रेस नेताओं और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने अपने नेता के समर्थन में जमकर प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोक दिया और हिरासत में ले लिया।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नेताओं को दिल्ली के अलग-अलग थाने में रखा गया और कुछ नेताओं को कई घंटे तक हिरासत में रखा गया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि राहुल गांधी की प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेशी पर पार्टी की ओर से निकाले गए विरोध मार्च के दौरान पुलिस की धक्का-मुक्की में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत उसके कई नेताओं को चोटें आई हैं।
अधिकारियों के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और गांधी परिवार से पूछताछ ईडी की जांच का हिस्सा है, ताकि यंग इंडियन और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के हिस्सेदारी पैटर्न, वित्तीय लेन-देन और प्रवर्तकों की भूमिका को समझा जा सके। यंग इंडियन के प्रवर्तकों और शेयरधारकों में सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कुछ अन्य सदस्य शामिल हैं।
समझा जाता है कि मामले से जुड़े सहायक निदेशक स्तर के एक ईडी अधिकारी ने यंग इंडियन की स्थापना, नेशनल हेराल्ड के संचालन और धन के कथित हस्तांतरण को लेकर सवालों की सूची सामने रखी। यंग इंडियन में कथित वित्तीय अनियमितताएं भी जांच के दायरे में हैं।
कांग्रेस का कहना है कि उसके शीर्ष नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं तथा ईडी की कार्रवाई प्रतिशोध की राजनीति के तहत की जा रही है। उसने यह भी कहा है कि पार्टी और उसका नेतृत्व झुकने वाले नहीं है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुरजेवाला ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ लगे आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा कि 'कांग्रेस एक राजनीतिक दल है और एक राजनीतिक दल किसी कंपनी में हिस्सेदारी नहीं खरीद सकता। इसलिए, यंग इंडियन के नाम से एक गैर-लाभकारी कंपनी (नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी) को नेशनल हेराल्ड एवं एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शेयर दिए गए, ताकि 90 करोड़ रुपये का कर्ज खत्म हो सके।
उन्होंने कहा कि इस 90 करोड़ रुपए में से 67 करोड़ रुपए कर्मचारियों के वेतन एवं वीआरएस के लिए दिए गए तथा बाकी सरकार का बकाया, बिजली के बिल तथा भवन के लिए भुगतान हुआ। यह अपराध कैसे हो सकता है? यह तो कर्तव्य का बोध है। हमने मोदी सरकार की तरह देश की संपत्ति अपने उद्योगपति मित्रों को नहीं बेच डाली। सुरजेवाला के अनुसार, नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व वाले एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास आज भी सारी संपत्ति हूबहू सुरक्षित है।
दिल्ली की एक निचली अदालत द्वारा यंग इंडियन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच का संज्ञान लिए जाने के बाद एजेंसी ने पीएमएलए के आपराधिक प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज किया था। भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संबंध में 2013 में एक शिकायत दर्ज कराई थी।
स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य पर धोखाधड़ी की साजिश रचने एवं धन के गबन का आरोप लगाया था और कहा था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपए की वसूली का अधिकार प्राप्त करने के लिए केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया, जो एजेएल पर कांग्रेस का बकाया था।
459 कार्यकर्ता हिरासत में : दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के 459 कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं करने पर हिरासत में ले लिया। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं के साथ मारपीट करने और उनके चोटिल होने संबंधी आरोपों की गंभीरता से जांच की जाएगी।
नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी धन शोधन जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के खिलाफ दिल्ली में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और इस दौरान कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया।
विरोध-प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को अकबर रोड, जहां कांग्रेस मुख्यालय स्थित है, क्यू प्वाइंट एपीजे कलाम रोड और मान सिंह रोड से हिरासत में लिया गया तथा उन्हें मंदिर मार्ग, तुगलक रोड और फतेहपुर बेरी थानों में ले जाया गया।
हालांकि, पुलिस ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के 100 वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को अकबर रोड और मौलाना आजाद रोड चौराहे से पार्टी मुख्यालय में प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जिनकी सूची पहले से उपलब्ध कराई गई थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि नई दिल्ली में हिरासत में लिए गए 459 लोगों में अधीर रंजन चौधरी, के.सी. वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित 11 राज्यसभा सदस्य, विभिन्न राज्यों के पांच विधायक और पार्टी के पदाधिकारी शामिल हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस द्वारा हिरासत में ली गईं कांग्रेस की सभी महिला कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को रिहा कर दिया गया है और सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है। (इनपुट भाषा)