Election Commission News : चुनाव आयोग ने एक नागरिक मंच द्वारा लोकसभा चुनाव में शुरू में घोषित मतदान प्रतिशत और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़े अंतर के किये गये विश्लेषण को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए एक झूठा अभियान चलाया जा रहा है। कांग्रेस ने शनिवार को वोट फॉर डेमोक्रेसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से लोकसभा मतदान प्रतिशत में वृद्धि के बारे में उठाये गए सवालों को लेकर चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया था, जिससे यह घटनाक्रम सामने आया।
रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में शुरू में घोषित मतदाता प्रतिशत और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़ा अंतर है। आयोग ने एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, “मानव जाति के इतिहास में अब तक हुए सबसे बड़े चुनावों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ लोग (उम्मीदवारों के अलावा) झूठा अभियान चला रहे हैं। चुनाव के हर चरण में उम्मीदवारों/हितधारकों को शामिल करते हुए सबसे पारदर्शी तरीके से मतदान कराया गया।”
आयोग के मुताबिक, मतदान वाले दिन शाम सात बजे मतदान प्रतिशत के आंकड़ों की तुलना करने के निराधार प्रयास किए गए जबकि कई मतदान केंद्रों पर मतदान समाप्त हो गया था जबकि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाता कतार में प्रतीक्षा कर रहे होंगे। इस परस्थिति में मतदान के एक दिन बाद ही असल प्रतिशत उपलब्ध होगा। निर्वाचन आयोग ने बताया कि चुनावी आंकड़े और परिणाम कानून के तहत वैधानिक रूप और प्रक्रियाओं के अनुसार हैं।
आयोग के मुताबिक कोई भी उम्मीदवार या मतदाता याचिका के माध्यम से चुनावी परिणाम को चुनौती दे सकता है लेकिन इस आधार पर कोई याचिका दायर नहीं की गई है। चुनाव याचिका (ईपी) परिणामों की घोषणा के 45 दिनों के भीतर दायर की जा सकती है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma