नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को जोरदार ढंग से कहा गया कि लोकसभा और विधानसभाओं तथा अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव कार्य के लिए अध्यापकों को नहीं लगाया, जिससे वे अपना पूरा ध्यान बच्चों की शिक्षा में लगा सके।
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने सदन में पेश संविधान (संशोधन) विधेयक 2016 (अनुच्छेद 324 का संशोधन) पर चर्चा जारी रखते हुए कहा कि चुनाव संबंधी कार्य के लिए चुनाव आयोग शिक्षकों का इस्तेमाल करता है, जिससे बच्चों के पठन-पाठन पर असर पड़ता है और पूरी पीढ़ी का भविष्य चौपट हो जाता है। संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए सभी आवश्यक अधिकार प्रदान करने के संबंध में है।
शिवा ने कहा कि देश की स्कूली शिक्षा बेहद खराब हालत है। अधिकतर बच्चों का गणित कमजोर है और वे मामूली जोड़-बाकी कर पाने में भी सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्यापक कक्षाओं में नहीं जाते हैं। देश के 4000 विद्यालयों में कोई शिक्षक नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश में कोई भी कार्य हो अध्यापकों को इसके लिए लगा दिया जाता है। इससे वे अपने मूल कार्य से भटक जाते हैं। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार तथा अन्य राज्यों में अध्यापकों के लाखों पद खाली है, लेकिन सरकार इन्हें भरने के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं कर रही है।
चुनाव आयोग ही खत्म कर सकता है : केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि देश में विभिन्न चुनावों में शिक्षकों को ड्यूटी से छूट देने का निर्णय सरकार नहीं ले सकती है क्योंकि इस संबंध में फैसला लेने का अधिकार चुनाव आयोग को ही है। प्रसाद ने शुक्रवार को राज्यसभा में द्रमुक के तिरुचि शिवा के निजी विधेयक पर हस्तक्षेप करते यह बात कही। उन्होंने कहा कि चुनावों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होने के बारे में शिवा ने जो चिंता व्यक्त की है उससे सरकार चुनाव आयोग को जरूर अवगत कराएगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावों में सुधार के लिए कई कदम उठा रहे है और यह सुधार अभी पाइपलाइन में है। इसलिए चुनाव सुधार पर जब कभी सर्वदलीय बैठक होगी उसमें शिवा को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में कर्मचारियों को ड्यूटी लगाने का अधिकार चुनाव आयोग को है। इसलिए शिक्षकों की ड्यूटी के मामले में आयोग ही फैसला ले सकता है।