नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को कहा कि मार्च 2019 के बाद चौबीसों घंटे बिजली देना कानूनन बाध्यकारी होगा और बिजली सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं के खाते में जाएगी।
सिंह ने राज्यों के बिजली मंत्रियों के यहां शुरू सम्मेलन के उद्घाटन के बाद प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि मार्च 2019 तक चौबीसों घंटे बिजली देने को कानूनन बाध्यकारी बनाने तथा डीबीटी सब्सिडी देने के लिए कानून में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए राज्यों से बातचीत की गई है।
उन्होंने कहा कि इस समय सीमा के बाद बिना किसी तकनीकी कारण के बिजली काटने वाली वितरक कंपनियों पर आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा। बिजली वितरण कंपनियों की सेहत सुधारने के लिए जनवरी 2019 तक उनका घाटा 15 प्रतिशत से नीचे लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत उपभोक्ता मोबाइल से प्रीपेड कार्ड के जरिए बिजली का इस्तेमाल कर सकेंगे तथा शेष 10 प्रतिशत बड़े उपभोक्ताओं के लिए के लिए स्मार्ट मीटर ही होंगे। मीटर की रीडिंग और बिजली का बिल आदि बीते दिनों की बात होगी और सब कुछ कंप्यूटरीकृत होगा।
सिंह ने कहा कि आम उपभोक्ताओं को अभी बिजली की सब्सिडी मिल रही है जिसके कारण यह उन्हें सस्ती मिल रही है जबकि औद्योगिक क्षेत्र को बिजली महंगी मिल रही है। इस प्रकार सब्सिडी का बोझ उद्योग जगत को उठाना पड़ रहा है। लेकिन अब डीबीटी के माध्यम से समाज के जरूरतमंद लोगों को सब्सिडी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि उद्योग जगत अब 20 प्रतिशत से ज्यादा सब्सिडी का बोझ नहीं उठाएगा। मेक इन इंडिया और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें उचित दर पर बिजली मिलनी जरूरी है। सिंह ने कहा कि विभिन्न राज्यों में बिजली की दरों के स्लैब अलग-अलग हैं जिन्हें कम करके 12 से 15 पर लाया जाएगा। (वार्ता)