श्रीनगर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) के कोष में गबन से संबंधित करोड़ों रुपए के धनशोधन मामले में सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से पूछताछ की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नवगठित 'पीपुल्स अलायंस' ने ईडी के सामने अब्दुल्ला की पेशी को 'बदनाम करने का षड्यंत्र' और 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया।
अधिकारियों ने कहा कि पहले की तरह धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला का बयान दर्ज किया जाएगा। इससे पहले, जेकेसीए के कोष में 40 करोड़ रुपए से अधिक राशि के गबन से संबंधित मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला (82) से राजबाग में एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय में पूछताछ की गई। उन्हें 15 अक्टूबर को गुपकर घोषणा के तहत पीपुल्स अलायंस के गठन के एक दिन बाद पेशी के लिए समन मिला था।
अधिकारियों ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अब्दुल्ला का बयान दर्ज किया जाएगा। लोकसभा सांसद तथा जेकेसीए के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल्ला से इस मामले में पिछले साल जुलाई में चंडीगढ़ में पूछताछ की गई थी। उनसे संघ में हुई धोखाधड़ी के समय उनकी भूमिका और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर यह मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने जेकेसीए के महासचिव मोहम्मद सलीम खान और पूर्व कोषाध्यक्ष एहसान अहमद मिर्जा समेत कई पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने 2002 से 2011 के बीच भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा खेल को बढ़ावा देने के लिए जेकेसीए को दिए गए अनुदान में से 43.69 करोड़ रुपए के गबन के मामले में अब्दुल्ला, खान, मिर्जा के अलावा मीर मंजूर गजनफर अली, बशीर अहमद मिसगार और गुलजार अहमद बेग (जेकेसीए के पूर्व अकाउंटेंट) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
ईडी ने कहा कि उसकी जांच में सामने आया है कि जेकेसीए को वित्त वर्षों 2005-2006 और 2011-2012 (दिसंबर 2011 तक) के दौरान तीन अलग-अलग बैंक खातों के जरिए बीसीसीआई से 94.06 करोड़ रुपए मिले।ईडी का आरोप है कि जेकेसीए के नाम पर कई अन्य बैंक खाते खोले गए, फिर उनमें कोष का हस्तांतरण किया गया। इन बैंक खातों और पहले से मौजूद खातों का बाद में जेकेसीए के कोष का शोधन करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, यह कुछ और नहीं, बल्कि ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है। अन्य नेताओं ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है।
पीडीपी नेता तथा जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ईडी द्वारा फारूक साहब को अचानक तलब किया जाना जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के साथ आने से भारत सरकार की बौखलाहट को दर्शाता है।
उन्होंने ट्वीट किया, यह राजनीतिक प्रतिशोध को भी दर्शाता है। इससे अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ने के हमारे संकल्प पर रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ेगा। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी कहा कि यह कदम राजनीतिक प्रतिशोध को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, बड़े अफसोस की बात है। डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला साहब को ईडी ने तलब किया। यह राजनीतिक प्रतिशोध को दर्शाता है। इससे उनके मंसूबों पर ही विपरीत प्रभाव पड़ेगा।(भाषा)