नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) शेयर और उससे संबंधित निवेश उत्पादों में निवेश की मौजूदा सीमा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। जिससे शेयर बाजार में निवेश से ज्यादा रिटर्न हासिल किया सके और ईपीएफओ के खाताधारकों को ज्यादा ब्याज दिया जा सके।
एक सूत्र के अनुसार, 29 और 30 जुलाई को होने वाली ईपीएफओ न्यासियों की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की संभावना है। फिलहाल ईपीएफओ निवेश योग्य जमा का पांच प्रतिशत से 15 प्रतिशत इक्विटी या इक्विटी संबंधित योजनाओं में निवेश कर सकता है। इस सीमा को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर ईपीएफओ के परामर्श निकाय वित्तीय लेखा और निवेश समिति (एफएआईसी) ने विचार किया और मंजूरी दी है।
एफएआईसी की सिफारिश को विचार और मंजूरी के लिए ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) के समक्ष रखा जाएगा। सूत्र ने कहा, केंद्रीय श्रममंत्री की अध्यक्षता वाला केंद्रीय न्यासी बोर्ड एफएआईसी की इक्विटी और इक्विटी संबंधित योजना में मौजूदा 5 से 15 प्रतिशत तक निवेश सीमा को बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने को मंजूरी दे सकता है।
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने सोमवार को कहा, सीबीटी की उप-समिति एफआईएसी ने इक्विटी और इक्विटी संबंधित निवेश सीमा 5-15 प्रतिशत से बढ़ाकर 5-20 प्रतिशत करने पर विचार करने की सिफारिश की है।
ईपीएफओ ने अगस्त, 2015 में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश को मंजूरी दी थी। उस समय निवेश योग्य जमा का पांच प्रतिशत शेयर से जुड़े उत्पादों में निवेश किया गया था। चालू वित्त वर्ष के लिए इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।
तेली ने यह भी कहा कि ईपीएफओ के इक्विटी संबंधित निवेश पर रिटर्न 2021 में बढ़कर 16.27 प्रतिशत हो गया, जो 2020-21 में 14.67 प्रतिशत था। हालांकि श्रमिक संगठन ईपीएफओ के शेयर बाजार में निवेश का विरोध करते रहे हैं। इसका कारण इस निवेश पर सरकार की गारंटी का नहीं होना है।