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हर साल मौतें, जाम और अव्‍यवस्‍थाएं, फिर कैसे मिल जाती है अनुमति, ढीठ हुए बाबा प्रदीप मिश्रा और बेशर्म बना प्रशासन

अस्‍पताल, दफ्तर और मजदूरी पर जाने वाले आम लोगों का भगवान कौन?

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नवीन रांगियाल

मध्यप्रदेश के सीहोर में आस्था के नाम पर हुई लापरवाही में 2 लोगों से ज्‍यादा की मौत की खबर सामने आ रही है। 4 से ज्‍यादा लोग लापता हैं। यह सब आस्‍था के नाम का मेला लगाने वाले तथाकथित बाबा प्रदीप मिश्रा के आयोजन में हुआ है। लेकिन ऐसा लगता है कि इन बाबाओं से लेकर प्रशासन तक दोनों ने बेशर्मी और अपने ढीठपने की हदें पार कर दी हैं।
जहां तथाकथित बाबा प्रदीप मिश्रा ने मृतकों को बीमार बताकर अपना पल्‍ला झाड़ लिया, वहीं प्रशासन ने अपने ढीठपने का सबूत देते हुए शोर मचाने के आरोप में 8 डीजे वाहन जब्त कर अपनी खानापूर्ति कर ली। बीमार लोग सरकारी अस्पतालों के बिस्तरों पर तड़प रहे हैं और पंडित मिश्रा इस घटनाओं को नकार रहे हैं। प्रशासन जांच करने का बोलकर फारिग हो गया और बेशर्मी की हद तक हर बार ऐसे आयोजनों की अनुमति देता रहता है। सोशल मीडिया में ऐसे तथाकथित बाबाओं और प्रशासन के रवैये को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है। बता दें कि प्रदीप मिश्रा के आयोजन की वजह से इंदौर और भोपाल आने जाने वाले लाखों लोग परेशान होते हैं। यहां तक कि मानव अधिकार आयोग ने रुद्राक्ष वितरण पर रोक लगाने की बात भी कही है।
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आम लोगों का भगवान कौन? आस्‍था और धर्म के नाम पर होने वाले ऐसे जानलेवा और खौफनाक आयोजनों को लेकर आम आदमी पूरी तरह सिहरा हुआ है, अस्‍पताल, दफ्तर और अपने मजदूरी पर जाने वाले लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये कैसा धार्मिक उन्‍माद है, जिसमें मौतें हो जाती हैं, लाखों लोग घंटों तक जाम में फंस जाते हैं और भगदड़ में सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं।

इन लापरवाहियों का जवाब कौन देगा : पंडित मिश्रा ने कांवड़ यात्रा की अनुमति सीहोर प्रशासन से मांगी। उसमें संख्या नहीं बताई। भीड़ नियंत्रण के लिए आयोजकों की तरफ से कोई इंतजाम नहीं थे। आयोजक इसके लिए प्रशासन के भरोसे बैठे रहे।

वहीं, कुबेरेश्वर धाम में अनुमानित भीड़ के हिसाब से न रहने व ठहरने के इंतजाम थे और न शौचालयों की व्यवस्था थी। लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिला।

भीड़ जुटाने के लिए इस बार भी रुद्राक्ष वितरण का सहारा लिया गया। प्रचार किया गया कि रुद्राक्ष अभिमंत्रित है। उसके चक्कर में ही भीड़ जुटी। प्रशासन ने उस पर रोक लगाना उचित नहीं समझा।

पंडित मिश्रा भीड़ नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग दिन,अलग-अलग राज्यों के लोगों को बुला सकते थे, लेकिन उन्होंने हर कथा में प्रचार किया कि एक जोड़ी कपड़े में आना, धाम पर सब इंतजाम मिलेंगे, लेकिन लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिला।
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लगा कई घंटों का लंबा जाम : प्रदीप मिश्रा की कांवड यात्रा में एक बार फिर से लंबा जाम लगा है। बताया जा रहा है कि 24 घंटे से ज्‍यादा समय तक यह जाम लगा हुआ है। मिश्रा ने कथा में प्रचार के लिए रुद्राक्ष वितरण की बातें कहीं गई थी। उसके लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान के लोग इस यात्रा में शामिल हुए। इससे हालात बिगड़े और प्रशासन भी भीड़ को संभाल नहीं पाया और लंबा जाम लगा हुआ है।

3 साल पहले लगा था 10 किमी लंबा जाम : बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब मिश्रा के आयोजन में घंटों का जाम लगा है। 3 साल पहले सीहोर में रुद्राक्ष वितरण के दौरान 5 लाख से ज्यादा लोग एक दिन में जुट गए थे। इंदौर-भोपाल मार्ग पर 10 किलोमीटर का जाम लग गया था। लाखों वाहन जाम में फंस गए थे।
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प्रदीप मिश्रा की वजह से हुए बवाल : प्रदीप मिश्रा की वजह से इंदौर भोपाल के बीच न सिर्फ जाम लगे हैं, बल्‍कि भगदड़ और अव्‍यवस्‍थाएं जमकर फैल चुकी हैं। इसके पहले रुद्राक्ष वितरण के दौरान बिगड़े हालात के बाद मिश्रा ने कथा रोक दी थी और मंच से रोते हुए कहा था कि उन पर दबाव आ रहा है। राधा रानी पर विवादित टिप्पणी के बाद कुछ संत नाराज हो गए थे। बाद में मिश्रा को बरसाना के राधा रानी मंदिर में जाकर नाक रगड़ कर माफी मांगना पड़ी थी। हाल ही में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में होने वाली कथा में तय 30 लाख की राशि नहीं मिलने पर कथा रद्द कराने का मामला भी उनका चर्चा में है। पिछले माह उन्होंने भगवान चित्रगुप्त को लेकर भी महाराष्ट्र के बीड़ की कथा में विवादित टिप्पणी कर दी थी। इससे कायस्थ समाज भड़क गया था। मिश्रा को इस मामले में माफी मांगना पड़ी थी।
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सोशल मीडिया में गुस्‍सा, श्रद्धालुओं पर भी सवाल : हर साल प्रदीप मिश्रा के इन आयोजनों में होने वाली लापरवाही को लेकर आम लोगों में जमकर रोष है। सोशल मीडिया में लोग ऐसे बाबाओं और उनके श्रद्धालुओं को जमकर कोस रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि प्रशासन ऐसे आयोजनों को अनुमति कैसे दे रहा है। यही सब होता रहा तो सिंहस्‍थ के आयोजन को प्रशासन कैसे संभालेगा। हर साल अव्‍यवस्‍था और लोगों की मौत के बाद भी आयोजन की अनुमति मिल जाती है। अंधश्रद्धालु भी इन आयोजनों में अपने बच्‍चों और महिलाओं को लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसे दोष दे यह बात भी समझ से परे हैं।

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