पिछले दिनों आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में ईवीएम का लाइव डेमो देकर बताया था कि इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने शनिवार को एक तरह उन लोगों को जवाब दिया, जिन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे।
* आयोग ने सवाल उठाने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि वे 3 जून से मशीनों को हैक करके बताएं।
* चुनाव आयोग ने 12 मई को ईवीएम में छेड़छाड़ की चुनौती दी थी।
* चुनाव आयोग की चुनौती तीन जून से शुरू होगी।
* चुनौती के माध्यम से हम अपने वोटर का विश्वास बढ़ाना चाहते हैं।
* चुनौती के दो पहलू
* भारत में विदेशी मशीनों का इस्तेमाल नहीं होती है। हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं।
* हमारी मशीन आयरलैंड जैसी नहीं है, ये पूरी तरह छेड़छाड़ रहित हैं।
* मशीनों का डाटा किसी भी तरह ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
* 5 फीसदी मशीनों पर 1000 वोटों की जांच होती है।
* भारत में विदेशी मशीनों का इस्तेमाल नहीं होती है। हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं।
* हमारी मशीन आयरलैंड जैसी नहीं है, ये पूरी तरह छेड़छाड़ रहित हैं।
* मशीनों का डाटा किसी भी तरह ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
* 5 फीसदी मशीनों पर 1000 वोटों की जांच होती है।
* लोगों के मन में छोटा सा भी शक नहीं रहना चाहिए।
* हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं। सॉफ्टवेयर भी भारत में ही बनता है।
* ईवीएम की सुरक्षा के लिए हमारी पूरी पारदर्शी प्रक्रिया है।
* मशीनों में गड़बड़ी नहीं हो सकती क्योंकि इनमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
* आयोग कुछ सुझाव और शिकायतें मिली हैं, लेकिन हैकिंग से संबंधित कोई सबूत नहीं दिया गया।
* भविष्य में वीवीपैट मशीन का ही इस्तेमाल होगा।
* नतीजों को बदला नहीं जा सकता।
* ईवीएम मशीनें इंटरनेट या अन्य नेटवर्क से जुड़ी नहीं होतीं, अत: उन्हें हैक नहीं किया जा सकता।
* इनमें ऐसी कोई कोडिंग नहीं है, वायरलेस के जरिए इनमें छेड़छाड़ की सके।
* चुनाव के दौरान सुरक्षा कड़ी रहती है। अत: ईवीएम में छेड़छाड़ संभव नहीं है।
* छेड़छाड़ तभी संभव है जब मशीन बनाने वाले को प्रत्याशी का की नंबर मालूम हो, जबकि मशीनों का निर्माण बहुत पहले हो चुका है।
* मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ईवीएम में सिर्फ एक ही बार प्रोग्रामिंग की जा सकती है। उसके बाद उसमें कुछ भी बदलाव नहीं किया जा सकता।