EXCLUSIVE : ऑनलाइन वोटिंग पर क्या बोले देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ?
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग की कहीं है बात
कोरोना महामारी के बीच में देश में चुनाव प्रणाली को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव और उससे पहले मध्यप्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव किस तरह होंगे और चुनाव पर कोरोना का क्या असर होगा इसको लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आने वाले चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग और डिजिटल तरीके से चुनाव कराने पर बात कहीं तो विरोध में कई विपक्ष दल सामने आए गए है। सुशील मोदी ने कहा कि ये तय हैं कि अगला चुनाव जब भी होगा वह डिजिटल तरीके से होगा और आने वाले दिनों में ये भी हो सकता है कि लोग मतदान केंद्र पर जाकर वोटिंग करने की बजाय घर बैठे इलेक्ट्रानिक तरीके से वोटिंग कर सके।
कोरोना का भारत के चुनावी परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक दल और चुनाव आयोग किस तरह कोरोना के साथ चुनाव प्रकिया में जाएंगे इसको समझने के लिए वेबदुनिया ने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से खास बातचीत की।
वेबदुनिया ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त से पहला सवाल बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी के ऑनलाइन वोटिंग के बयान को लेकर ही किया। सवाल के जवाब में पूर्व सीईसी ओपी रावत कहते हैं कि “भारत में चुनाव किस तरह हो यह रिपेंजेटशन ऑफ पीपुल एक्ट (Representation of the People Act -1961 ) में आता है। एक्ट में जिन धाराओं में पहले बैलेट से चुनाव होता था बाद में ईवीएम के जरिए होने लगा, उन धाराओं में संशोधन करके ऑनलाइन वोटिंग किया जा सकता है उसमें कोई समस्या नहीं है”।
वेबदुनिया से बातचीत में आगे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कहते हैं कि “लेकिन अभी ऑनलाइन वोटिंग की टेक्नोलॉजी इलेक्शन कमीशन विकसित कर रहा है। सर्विस वोट के लिए वन लाइन इलेक्ट्रॉनिक बैलेट जाता है, लेकिन रेफंड इलेक्ट्रानिक नहीं आता है वह पोस्टल ही आता है। अगर वह टेक्नोलॉजी डेवलेप हो जाए और संशोधन हो जाए तो ऑनलाइन डिजिटल वोटिंग हो जाएगी लेकिन वह इतनी जल्दी नहीं हो सकता इसलिए वह अभी संभव नहीं है”।
पहले EVM और अब ऑनलाइन वोटिंग पर कई राजनीतिक दलों के संदेह उठाने पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत कहते हैं कि “ईवीएम को लेकर कतई भी कोई संदेह नहीं है, आरोप लगाना या न लगाना वो तो बात अलग है, कोई भी किसी पर आरोप लगा सकता है। इलेक्शन कमीशन ने ईवीएम पर लगे हुए आरोपों का प्रति-उत्तर देते हुए एक ईवीएम स्टेटस पेपर अपनी वेबसाइट पर तीन साल पहले डाल दिया था, लेकिन आरोप लगाने वालों के आरोपों में दम हैं तो उसे पढ़े लेकिन किसी को फुर्सत नहीं है और उसके बाद बताए कि समस्या क्या है, लेकिन किसी ने पढ़ने की जहमत तक नहीं उठाई। इससे साफ लगता है कि ये सिर्फ जुबानी जामाखर्च है उसके ज्यादा कुछ नहीं है”।
वहीं ऑनलाइन वोटिंग को लेकर लोगों में मन में जो शंका है उस पर ओपी रावत आगे कहते हैं कि "अगर ऑनलाइन वोटिंग की बात आती है तो इलेक्शन कमीशन हमेशा ऐसी व्यवस्था रखेगा कि जिससे आदमी को संतोष हो कि उसका वोट जिसको उसने डाला है उसी को गया है और उसमें किसी तरीके का को मैनिपुलेशन संभव नहीं हो, तभी चुनाव आयोग ऑनलाइन वोटिंग की व्यस्था करेगा। इसलिए तभी मैं कह रहा हूं कि अभी टेक्नॉलॉजी डेवलप नहीं हुई है और जब होगी और चुनाव आयोग के हाथ में होगी तो पहले पायलट करेंगे फिर रोल करेंगे पूरे इलेक्शन में"।
(इंटरव्यू के अगले भाग में मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में कौन सा मॉडल अपनाए चुनाव आयोग)