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गहराता जा रहा है मौसम के बदलते मिजाज का संकट

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, सोमवार, 14 दिसंबर 2020 (15:42 IST)
नई दिल्ली, (इंडिया साइंस वायर) भारत के 75 प्रतिशत अधिक जिले और देश की आधी से अधिक आबादी बाढ़, सूखा, चक्रवात, ग्रीष्म एवं शीत लहर जैसी चरम मौसमी घटनाओं के साये में है।

वर्ष 2005 के बाद से चरम मौसमी घटनाओं में असामान्य बढ़ोतरी और बदलती सूक्ष्म-जलवायु दशाओं के प्रभाव के कारण इन जिलों में जान-माल की क्षति  के साथ-साथ जीवन-यापन के संसाधनों का भी भारी नुकसान हुआ है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरमेंट ऐंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा जारी की गई एक ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम की उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट-2020 में इस सदी में 03 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वृद्धि चेतावनी दी गई है। वहीं, सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली सदी के दौरान तापमान में महज 0.6 डिग्री सेल्सियस वृद्धि के साथ भारत विनाशकारी परिणामों का सामना कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2005 के बाद चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और सघनता दोनों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। यह तथ्य चौंकाने वाले हैं कि वर्ष 1970 से 2005 तक चरम मौसमी घटनाओं की 250 घटनाएं दर्ज की गई थीं। जबकि, वर्ष 2005 के बाद ऐसी 310 मौसमी घटनाएं हुई हैं।

बृहस्पतिवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार चरम जलवायु घटनाओं के पैटर्न में बदलाव देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 40% से अधिक जिलों में बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्र सूखा-प्रवण और सूखा-प्रवण क्षेत्र बाढ़ग्रस्त इलाकों में रूपांतरित हो रहे हैं।

देश की राजधानी दिल्ली भी वर्ष 2005 के बाद सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसमी और बेमौसम बरसात के मामले भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ रहे हैं। दीर्घकालीन मौसमी पैटर्न में बदलाव का पता लगाने के लिए इस अध्ययन में वर्ष 1970 से 2019 तक के करीब 50 वर्षों के आंकड़ों के आधार पर चरम मौसमी घटनाओं की जिलेवार रूपरेखा पेश की गई है।

सीईईडब्ल्यू के कार्यक्रम अधिकारी और रिपोर्ट के लेखक अबिनाश मोहंती ने कहा है कि “ विध्वंसक मौसमी घटनाओं का मौजूदा चलन पिछले 100 वर्षों के दौरान महज 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि का परिणाम है। चरम मौसमी घटनाओं के मामले में भारत विश्व के पाँचवे सबसे अधिक संवेदनशील देशों में शामिल है। हमारा देश दुनिया की ‘फ्लड कैपिटल’ (बाढ़ राजधानी) बनने की ओर अग्रसर है।”

इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में बाढ़ के मामलों की आवृत्ति में करीब आठ गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, बाढ़ से जुड़ी घटनाएं जैसे- भूस्खलन, मूसलाधार वर्षा, ओला-वृष्टि, आंधी और बादलों के फटने की घटनाओं में 20 गुना से अधिक वृद्धि हुई है।

यह भी कम चौंकाने वाला तथ्य नहीं है कि वर्ष 1970 से 2005 तक हर साल औसतन तीन चरम मौसमी घटनाएं होती रही हैं। जबकि, वर्ष 2005 के बाद यह वार्षिक औसत 11 घटनाओं पर पहुँच गया है। इसी तरह, चरम मौसमी घटनाओं से प्रभावित होने वाले जिलों का वार्षिक औसत 19 था, जो वर्ष 2005 के बढ़कर 55 हो गया है। वर्ष 2019 में भारत में 16 चरम मौसमी घटनाओं के कारण 151 जिले प्रभावित हुए थे।

इस अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार तटीय इलाकों में चक्रवात का कहर भी बढ़ा है। वर्ष 2005 के बाद चक्रवातों की आवृत्ति दोगुनी हुई है, तो चक्रवात से प्रभावित होने वाले जिलों के वार्षिक औसत में तीन गुना तक बढ़ोतरी हुई है। पिछले दशक में ही 58 गंभीर चक्रवाती तूफान की घटनाएं देखी गईं है, जिससे देश के 258 जिले प्रभावित हुए हैं।

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