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मोदी ने कहा, संविधान हमें देता है अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाने की सीख

हमें फॉलो करें मोदी ने कहा, संविधान हमें देता है अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाने की सीख
, मंगलवार, 26 नवंबर 2019 (15:43 IST)
नई दिल्ली। भारतीय संविधान को संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि संविधान हमें अधिकारों के प्रति सजग एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है और ऐसे में हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाना होगा। मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान ने दो मंत्रों- भारतीयों के लिए गरिमा और भारत की एकता को साकार किया है।
उन्होंने भारतीय नागरिकों का आह्वान किया कि हम सब देश के नव नागरिक और नेक नागरिक बनें। संविधान को अंगीकार करने के 70 वर्ष पूरे होने पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की तरफ आगे बढ़ पा रहे हैं। भारतीयों के लिए गरिमा और भारत की एकता- संविधान ने इन दो मंत्रों को साकार किया है।
 
उन्होंने कहा कि संविधान अधिकारों के प्रति सजग एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है, ऐसे में हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों में संतुलन बनाना होगा। मोदी ने कहा कि क्या हम अपने कर्तव्यों को लेकर उतने ही सजग हैं जितनी हमारा संविधान और हमारे देशवासी हमसे अपेक्षा करते हैं।
 
उन्होंने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासंगिक हो जाती हैं।
 
संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह का विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था, जो महाराष्ट्र में भाजपा के देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपान के निर्णय के विरोधस्वरूप था।
 
मोदी कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों ने संविधान की भावना की सुरक्षा के लिए हमेशा आगे बढ़कर काम किया। अगर इसके विपरीत कुछ प्रयास हुए तब देश के लोगों ने मिलकर उसे विफल करने का काम किया। उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए गरिमा और भारत की एकता- संविधान ने इन दो मंत्रों को साकार किया है। मोदी ने कहा कि हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। यह न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है।
 
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है। ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारे जीवन की, समाज की परंपराओं, हमारे आचार-विचार का समावेश है और अनेक चुनौतियों का समाधान भी हैं। मोदी ने कहा कि हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं। हमने तमाम सुधार संविधान की मर्यादा में रहकर किए हैं।
 
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के कारण खुद को भी एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना हमारा दायित्व बन जाता है और हमें समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए इस कर्तव्य को भी निभाना होगा।
 
मोदी ने कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि अपने हर कार्यक्रम में, हर बातचीत में हम कर्तव्यों पर फोकस करें। सेवाभाव, संस्कार और कर्तव्य हर समाज के लिए बहुत अहम हैं लेकिन सेवाभाव से कर्तव्य अलग है। उन्होंने कहा कि सेवाभाव किसी भी समाज को सशक्त करता है। उसी तरह कर्तव्यभाव भी बहुत अहम है। एक नागरिक के नाते हमें वो करना चाहिए जिससे हमारा राष्ट्र शक्तिशाली बने।
 
मोदी ने कहा कि हमारा संविधान 'हम भारत के लोग' से शुरू होता है, हम भारत के लोग ही इसकी ताकत हैं, हम ही इसकी प्रेरणा हैं और हम ही इसका उद्देश्य हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मुंबई आतंकवादी हमले के मृतकों को भी अपने संबोधन में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर और प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेन्द्र प्रसाद को भी याद किया।

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