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असम में NRC पर बवाल, मु‍श्किल में फंसे कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला

हमें फॉलो करें असम में NRC पर बवाल, मु‍श्किल में फंसे कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 6 सितम्बर 2019 (10:09 IST)
नई दिल्‍ली। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) असम के समन्‍वयक प्रतीक हजेला (Prateek Hajela) के खिलाफ पुलिस ने 2 एफआईआर दर्ज की हैं। हजेला पर एनआरसी की अंतिम सूची में विसंगति करने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले असम भाजपा के कई नेता भी एनआरसी मामले पर अपनी असहमति जता चुके हैं।

खबरों के मुताबिक, पुलिस ने गुरुवार को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि हजेला पर 2 मामले दर्ज किए गए हैं। पहला मामला अखिल असम गोरिया मोरिया युवा छात्र परिषद (एएजीएमवाईसीपी) ने गुवाहाटी में दर्ज कराया, जबकि दूसरा डिब्रूगढ़ जिले में एक व्यक्ति चंदन मजूमदार ने कराया है। चंदन का आरोप है कि उसका नाम एनआरसी से जानबूझकर निकाला गया है।

मजूमदार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने सभी दस्तावेज जमा किए थे, लेकिन कर्मचारियों की अक्षमता के कारण एनआरसी की संशोधित सूची में उनका नाम नहीं आया। शिकायत में हजेला को विसंगतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें असम में एनआरसी संशोधन की देखरेख करने का काम सौंपा गया था। वहीं छात्र संगठन द्वारा दायर एफआईआर में कहा गया है कि कई स्वदेशी लोगों के नामों को सूची से बाहर रखा गया है और एनआरसी राज्य समन्वयक द्वारा ऐसा जानबूझकर किया गया है।
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इससे पहले एनआरसी के मामले में असम भाजपा भी लगातार अपनी असहमति दर्ज करवा चुकी है। असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि 1971 से पहले बांग्लादेश से शरणार्थियों के रूप में आए कई भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं, क्योंकि अधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से इनकार कर दिया था।
 
भाजपा विधायक सिलदित्य देव ने आरोप लगाया कि एनआरसी हिंदुओं को बाहर रखने और मुसलमानों की मदद करने की साजिश है। उनका आरोप है कि एनआरसी सॉफ्टवेयर को खराब किया गया है और नागरिकों की लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है।
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एनआरसी भारतीयों का हिसाब रखता है। कड़ी सुरक्षा के बीच लिस्ट जारी हो चुकी है। इस लिस्ट में 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं मिली है। किसी के भारतीय नागरिक होने या न होने का निर्णय फ़ॉरेन ट्राइब्यूनल ही करेगी। इस निर्णय से असहमत होने पर उच्‍च न्‍यायालय और उच्‍चतम न्‍यायालय भी जा सकते हैं।

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