Flood in Bihar: बिहार में बाढ़ से हा-हाकार मचा हुआ है। कोसी और गंडक नदियां अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं। गंगा, बागमती और कमला नदियां भी उफान पर हैं। बाढ़ का पानी ने करीब दर्जनभर जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है। कई जगह बांध टूट गए हैं, गांव टापू बन गए हैं। लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। राज्य में 2008 जैसे बाढ़ के हालात हैं। नेपाल में लगातार जारी बारिश की वजह से भी लोग इस आपदा को झेलने के लिए मजबूर हैं।
दरभंगा में कोसी का पश्चिमी तटबंध टूटा : बिहार की शोक कही जाने वाली नदी कोसी में करीब साढ़े 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद आए उफान ने दरभंगा जिले के कीरतपुर प्रखंड में अपना रौद्र रूप दिखाया और भभौल के पास पश्चिमी तटबंध टूटने के कारण 30 से अधिक गांव के बाढ़ की चपेट में आने से एक लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हुई। कीरतपुर प्रखंड के भभौल गांव के पास कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध लगभग एक किलोमीटर को लंबाई में टूट गया। तटबंध के टूटने से किरतपुर, घन्यश्यामपुर और गौराबैराम प्रखंड में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया।
प्रखंड की आठों पंचायत- कीरतपुर, झगड़ुआ, जगसो, खैंसा, तड़वाड़ा, कुबौल ढ़ांगा, जमालपुर एवं रसियारी के लगभग 30 गांव तटबंध टूटने से प्रभावित हुए हैं। साथ ही गौरा बौराम प्रखंड के भी पांच पंचायत मैं बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। तेज कटाव के कारण कई सड़क और पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने से इन प्रखंडों का जिला मुख्यालय से संपर्क बाधित गया है।
कलेक्टर ने संभाला मोर्चा : जिलाधिकारी राजीव रोशन ने भी स्वयं कमान संभाली और मिट्टी भारी बोरियों को अपनी गाड़ी से ओवरफ्लो स्थल पर पहुंचाया। वह खुद भी बोरी उठाते दिखे। कई स्थानीय लोगों ने बोरी उठाने में मदद की। उन्होंने जल संसाधन विभाग के अभियंता को फटकार लगाई। उल्लेखनीय है कि बीते शुक्रवार की शाम को सुपौल जिले के वीरपुर बराज से कोसी में 1.11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो रविवार सुबह तक क्रमश बढ़ता गया और सुबह छह बजे तक कोसी नदी में 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
सीतामढ़ी में बागमत तटबंध टूटा : दूसरी ओर, सीतामढ़ी जिले के बेलसंड प्रखंड स्थित मधकौल गांव के समीप बागमती तटबंध में माउस होल से हो रहे रिसाव के कारण बांध टूट गया। इससे 15 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इससे 25 हजार की आबादी प्रभावित हो हुई है। मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में रविवार को ही दरार आ गई थी। वहीं, शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव के पास रविवार की शाम बागमती के पश्चिमी तटबंध टूटने से तरियानी छपरा सहित आसपास के गांवों में पानी भर गया।
घबराने की जरूरत नहीं : पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के बाएं तटबंध में पानी के अत्यधिक दबाव के कारण क्षति पहुंची, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ का पानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर गया था। बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि घबराने की बात नहीं है। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। अधिकारी अलर्ट मोड पर हैं और चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से तटबंधों में दरार की कुल छह घटनाएं सामने आई हैं। उनमें से कुछ की मरम्मत पहले ही हो चुकी है और कुछ जगहों पर मरम्मत का काम जारी है। बाढ़ के कारण बिहार में अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमें बुलाईं : राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा गया है कि उत्तर बिहार में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, यूपी के वाराणसी और झारखंड के रांची से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDRF) की छह अतिरिक्त टीमें बुलाई गई हैं। यह एनडीआरएफ की 12 टीमों और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDRF) की 22 टीमों के अतिरिक्त है, जो वर्तमान में बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव अभियान में लगी हुई हैं। अधिकारियों ने कहा कि छोटी नदियों में जलस्तर घटने के बावजूद, बाढ़ से प्रभावित 16 लाख से अधिक लोगों के लिए स्थिति गंभीर बनी हुई है।
ये हैं बिहार के बाढ़ प्रभावित जिले : बिहार सरकार ने शनिवार और रविवार को वीरपुर और वाल्मीकि नगर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के उत्तरी, दक्षिणी और मध्य भागों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है। गंडक और कोसी नदियों पर स्थित वाल्मीकि नगर और वीरपुर बैराज पर पानी का दबाव सोमवार को कम हो गया, जिससे पानी का बहाव घट गया। रविवार को वाल्मीकि नगर बैराज से 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो सोमवार को सुबह आठ बजे तक घटकर 1.89 लाख क्यूसेक रह गया। राज्य के बाढ़ से प्रभावित जिलों में पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, पटना, जहानाबाद, मधुबनी, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और भोजपुर आदि शामिल हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया/सभी फोटो सोशल मीडिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala