Guillain Barre Syndrome: महाराष्ट्र के पुणे शहर में इन दोनों गिलियन बैरे सिंड्रोम के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं इस बीमारी की चपेट में अब तक 100 से ज्यादा लोग आ चुके हैं। वही लगभग 17 मैरिज वेंटिलेटर पर हैं। इसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और इलाज।गिलियन बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह हमला मांसपेशियों की कमजोरी और सुन्नता जैसी समस्याएं पैदा करता है।
गिलियन बैरे सिंड्रोम क्या है?
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका मतलब है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने स्वयं के ऊतकों को पराया मान लेती है और उन पर हमला करती है। गिलियन बैरे सिंड्रोम में, यह हमला परिधीय तंत्रिकाओं पर होता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से शरीर के बाकी हिस्सों तक संदेश ले जाती हैं।
गिलियन बैरे सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
इस बीमारी का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं:
-
संक्रमण: कुछ वायरल संक्रमण, जैसे कि इन्फ्लुएंजा या जीका वायरस, गिलियन बैरे सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
-
सर्जरी: कुछ प्रकार की सर्जरी भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकती है।
-
इम्यून सिस्टम की समस्याएं: पहले से मौजूद इम्यून सिस्टम की समस्याएं भी गिलियन बैरे सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
गिलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
गिलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
-
मांसपेशियों की कमजोरी: यह कमजोरी आमतौर पर पैरों से शुरू होती है और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती है।
-
सुन्नता और झुनझुनाहट: हाथों, पैरों या चेहरे में सुन्नता और झुनझुनाहट महसूस होना।
-
दर्द: मांसपेशियों में दर्द होना।
-
चलने में कठिनाई: कमजोरी के कारण चलने में मुश्किल होना।
-
सांस लेने में समस्या: गंभीर मामलों में, यह बीमारी सांस लेने की मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकती है।
-
निगलने में कठिनाई: कुछ लोगों को निगलने में भी समस्या हो सकती है।
गिलियन बैरे सिंड्रोम का इलाज क्या है?
गिलियन बैरे सिंड्रोम का इलाज व्यक्ति के लक्षणों और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। इलाज में शामिल हो सकते हैं:
-
प्लाज्माफेरेसिस: इस प्रक्रिया में रक्त से एंटीबॉडी को हटाया जाता है जो तंत्रिकाओं पर हमला कर रहे हैं।
-
इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी: इस थेरेपी में स्वस्थ एंटीबॉडी को रक्त में इंजेक्ट किया जाता है।
-
सहायक उपचार: दर्द निवारक दवाएं, श्वास चिकित्सा और भौतिक चिकित्सा जैसे सहायक उपचार भी दिए जा सकते हैं।
20000 है 1 इंजेक्श की कीमत
इस बीमारी के मरीज को इलाज के लिए इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन के कोर्स की आवश्यकता होती है। मरीज की बीमारी के अनुसार उसे इंजेक्शन लगते हैं। एक बार के इंजेक्शन की कीमत करीब 20000 रुपये आती है और मरीज को 13 से 15 इंजेक्शंस का डोज पूरा करना पड़ सकता है।
ALSO READ: इस बीमारी से पीड़ित हैं फातिमा सना शेख, दंगल के सेट पर हो गई थी ऐसी हालत
गिलियन-बैरे सिंड्रोम होने पर क्या करें?
गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी है, लेकिन उचित उपचार से इससे उबरना संभव है। इस बीमारी का कोई विशिष्ट इलाज तो नहीं है, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी और इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी जैसे सहायक उपचारों से लक्षणों को कम करके रोगी को तेजी से स्वस्थ होने में मदद मिल सकती है। ये उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने और नसों को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करते हैं।
अगर आपको इस बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, जैसे कि मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता या दर्द, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उतने ही अच्छे परिणाम मिलने की संभावना होगी। हालांकि, इस बीमारी से पूरी तरह बचाव के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन स्वच्छता का ध्यान रखकर और संक्रमण से बचाव करके इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।