राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवें दौर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं।
यह एक अच्छी खबर है, भारत के लिए और महिलाओं के लिए भी, लेकिन चिंता की बात यह भी है कि अब भी भारतीय परिवारों में बेटे के प्रति मोह खत्म नहीं हुआ है। यानी महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन भारतीय परिजन अब भी अपनी प्राथमिकता में बेटे को ही रखते हैं।
सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात (Gender Ratio) अभी भी 929 है। यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है।
प्रति हजार नवजातों के जन्म में लड़कियों की संख्या 929 ही है। हालांकि, सख्ती के बाद लिंग का पता करने की कोशिशों में कमी आई है और भ्रूण हत्या में कमी देखी जा रही है। वहीं, महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा जी रही हैं।
2005-06 में आयोजित एनएफएचएस-3 के अनुसार, अनुपात बराबर था, 1000: 1000; 2015-16 में एनएफएचएस-4 में यह घटकर 991:1000 हो गया। यह पहली बार है, किसी एनएफएचएस या जनगणना में कि लिंग अनुपात महिलाओं के पक्ष में तिरछा है।
सरकार ने बुधवार को भारत के लिए जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य के साथ-साथ 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 2019-21 एनएफएचएस -5 के चरण दो के तहत प्रमुख संकेतकों की फैक्टशीट जारी की।
इन राज्यों में हुआ सर्वेक्षण
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि इस चरण में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, उनमें अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली के एनसीटी, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की घटना 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के समान ही पाई गई। राष्ट्रीय स्तर के निष्कर्षों की गणना एनएचएफएस-5 के चरण एक और चरण दो के डेटा का उपयोग करके की गई थी।