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सेना प्रमुख ने जम्मू कश्मीर में 'राजनीतिक...सैन्य' पहल की वकालत की

हमें फॉलो करें सेना प्रमुख ने जम्मू कश्मीर में 'राजनीतिक...सैन्य' पहल की वकालत की
, रविवार, 14 जनवरी 2018 (22:55 IST)
नई दिल्ली। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने जम्मू कश्मीर में स्थिति से निपटने के लिए ‘राजनीतिक...सैन्य’ रुख की वकालत करते हुए राज्य में राजनीतिक पहल और सैन्य अभियान साथ-साथ चलाने का आज आह्वान किया। आतंकवाद से निपटने में कड़ा रुख अपनाने वाले सेना प्रमुख रावत ने कहा कि राज्य में काम कर रहे सशस्त्र बल ‘यथास्थितिवादी’ नहीं हो सकते और उन्हें स्थिति से निपटने के लिए नई रणनीतियां बनानी होंगी।
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सेना प्रमुख ने एक साक्षात्कार में कहा कि राजनीतिक पहल और अन्य सभी पहलें साथ...साथ चलनी चाहिए और यदि हम सभी तालमेल के साथ काम करें तभी कश्मीर में स्थायी शांति ला सकते हैं। हमें एक राजनीतिक...सैन्य रूख अपनाना होगा।’रावत ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान पर इस बात के लिए दबाव बनाने की गुंजाइश है कि वह सीमापार से आतंकवादी गतिविधियां रोके।

उनका स्पष्ट संकेत था कि सेना आतंकवाद से कड़ाई से निपटने की अपनी नीति जारी रखेगी। गत अक्टूबर में सरकार ने गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख दिनेश्चर शर्मा को जम्मू कश्मीर में सभी पक्षों के साथ ‘सतत वार्ता’ के लिए अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया था। सेना प्रमुख ने कहा कि सरकार ने जब वार्ताकार नियुक्त किया तो वह उसी उद्देश्य से था। कश्मीर के लोगों से संवाद कायम करने और उनकी शिकायतों का पता लगाने के लिए वे सरकार के प्रतिनिधि हैं ताकि उनका राजनीतिक स्तर पर समाधान हो सके।

यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान पर इसके लिए दबाव बढ़ाया जा सकता है ताकि उसे इसके लिए बाध्य किया जा सके कि वह राज्य में आतंकवादियों को भेजना बंद करे? उन्होंने कहा, ‘हां, आप यथास्थितिवादी नहीं हो सकते। आपको लगातार सोचना होगा और आगे बढ़ते रहना होगा। ऐसे क्षेत्रों में आप जिस तरह से काम करते हैं, उनसे संबंधित अपने सिद्धांत, अवधारणा और तरीके में लगातार बदलाव करते रहना होगा।’उन्होंने कहा कि सेना को स्थिति से निपटने के लिए नई रणनीतियां बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि साथ ही कश्मीर मुद्दे से निपटने के लिए एक समग्र रूख की जरूरत है।

गत वर्ष की शुरुआत से ही सेना जम्मू कश्मीर में एक आक्रामक आतंकवाद निरोध नीति पर चल रही है, साथ ही नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों के संघर्षविराम उल्लंघनों का माकूल जवाब दे रही है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए सेना हमारे तंत्र का केवल एक हिस्सा है। हमारा काम यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में हिंसा कर रहे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए तथा जिन्हें कट्टर बना दिया गया है और जो आतंकवाद की ओर तेजी से आगे बढ़़ रहे हैं, उन्हें वैसा करने से रोका जाए। जनरल रावत ने कहा कि कुछ युवाओं को कट्टर बनाना जारी है और वे आतंकवादी समूहों में शामिल हो रहे हैं। सेना आतंकवादी समूहों पर दबाव बनाने का प्रयास जारी रखे हुए है। जनरल रावत ने कहा कि सेना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वह आतंकवादियों और कश्मीर में परेशानी उत्पन्न करने वालों पर दबाव बनाए रखे।

उन्होंने कहा कि यद्यपि हमें साथ ही लोगों तक पहुंच भी बनानी होगी। यह पूछे जाने पर कि करीब साल भर पहले सेना प्रमुख का कार्यभार संभालने के बाद से क्या कश्मीर की स्थिति में सुधार हुआ है? जनरल रावत ने कहा कि मुझे बेहतरी की दिशा में स्थिति में मामूली परिवर्तन नजर आ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमें इस समय अत्यधिक आत्मविश्वास में रहने और यह मानने की जरूरत है कि स्थिति नियंत्रण में आ गई है क्योंकि सीमापार से घुसपैठ जारी रहेगी।’ (भाषा)

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