जम्मू। गुलाम नबी आजादी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद रविवार को अपनी पहली रैली में अपनी पार्टी के एजेंडे पर रोशनी डाली जिसमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराना, राज्य के नागरिकों के भूमि और रोजगार के अधिकारों की सुरक्षा तथा कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास शामिल हैं।
जम्मू के पास सैनिक कॉलोनी में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर की जनता और नेताओं से परामर्श करने के बाद अपनी नयी पार्टी का नाम घोषित करेंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी का नाम न तो मौलाना की उर्दू में होगा और ना ही पंडित की संस्कृत में।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद के जम्मू हवाई अड्डे पर पहुंचने पर बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किया और फिर एक जुलूस में उन्हें रैली स्थल तक ले गये।
आजाद के साथ मंच पर पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद, कांग्रेस से उनके समर्थन में इस्तीफा देने वाले कई पूर्व मंत्री एवं विधायक, पूर्व पीडीपी विधायक सैयद बशीर तथा अपनी पार्टी के पूर्व विधायक शोएब नबी लोन उपस्थित थे।
आजाद ने इस मौके पर कहा कि उनकी नई पार्टी जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किए जाने, उसके नागरिकों के लिए भूमि और नौकरियों के अधिकार सुरक्षित करने तथा कश्मीरी पंडितों की वापसी एवं पुनर्वास पर ध्यान देगी।
अपनी पार्टी के लिए समाज के सभी वर्गों का समर्थन मांगते हुए आजाद ने कहा, हमने नयी पार्टी का नाम और इसका झंडा अभी तक तय नहीं किया है। मैं दिल्ली में बैठकर आदेश जारी नहीं करुंगा। नाम और झंडा तय करने के लिए कश्मीर और जम्मू दोनों के लोगों और नेताओं से मशविरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम ऐसा होगा जिसे आसानी से बोला जा सके।
हालांकि, आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी का एजेंडा तय हो गया है और जम्मू कश्मीर को विकास तथा समृद्धि की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में जनता को उनका समर्थन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य के पूर्ण दर्जे का अर्थ है कि राज्यपाल होंगे, उप राज्यपाल नहीं और विधानसभा के पास विधेयक पारित करने के अधिकार होने चाहिए।
आजाद ने कहा कि बाहरी लोगों को जम्मू या कश्मीर में जमीन नहीं खरीदने दी जानी चाहिए और उन्हें नौकरियां नहीं मिलनी चाहिए। जम्मू कश्मीर में कितने रोजगार के अवसर हैं? यह सागर में थोड़े से पानी के समान हैं और यदि इनका राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन दिया जाएगा तो हमें थोड़ा सा पानी भी नहीं मिलेगा। आजाद ने कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक पुराने संबंध 26 अगस्त को तोड़ दिए थे।