नई दिल्ली। गिलगिट-बाल्टिस्तान के संबंध में इस्लामाबाद के तथाकथित आदेश को लेकर भारत ने पाकिस्तानी उपउच्चायुक्त सैयद हैदर शाह को तलब किया। भारत ने उनसे कहा कि उनके देश के जबरन कब्जे वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव करने के लिए किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने शाह को सूचित किया कि 1947 में हुए विलय के आधार पर पूरा जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है और ‘गिलगिट - बाल्टिस्तान’ इलाका उस राज्य में शामिल है। इसमें कहा गया है कि भारत में पाकिस्तान के उप - उच्चायुक्त को तलब किया गया और पाकिस्तान के तथाकथित गिलगिट - बाल्टिस्तान आदेश, 2018 के खिलाफ सख्त विरोध जताया गया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने गिलगिट - बाल्टिस्तान पर 21 मई के एक आदेश के जरिए क्षेत्र के मामलों से निपटने के स्थानीय परिषद के ज्यादातर अधिकार ले लिए।
पाकिस्तान के नागरिक अधिकार समूहों ने इस आदेश की आलोचना की है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के जबरन और अवैध कब्जे वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव के लिए किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और वह पूरी तरह से अस्वीकार्य भी है।
पाकिस्तान को कब्जे वाले क्षेत्रों के दर्जे में बदलाव के बदले अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली कर देना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी उप - उच्चायुक्त को यह भी कहा गया कि इस तरह के किसी भी कार्य से पाकिस्तान द्वारा जम्मू - कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध कब्जे तथा गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण को छिपाया नहीं जा सकता है।
साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों के निवासियों को स्वतंत्रता से इंकार नहीं किया जा सकता। इसमें कहा गया है कि इस संबंध में भारत सरकार का स्थाई रुख 1994 में संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प में परिलक्षित होता है। जम्मू कश्मीर में सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि के बाद संसद ने उस साल फरवरी में संकल्प पारित किया था जिसमें जोर दिया गया था कि राज्य भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को वह हिस्सा खाली करना चाहिए जिस पर उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। (भाषा)