30 जनवरी 1948 का दिन। शहर दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सीने में 3 गोलियां दागी गई। उनके मुंह से निकला आखिरी शब्द था हे राम।
आज भी वही तारीख 30 जनवरी है। शहर वही दिल्ली है। एक विचारधारा के व्यक्ति ने एक दूसरी विचारधारा के व्यक्ति पर गोली चलाई है। यह सोशल मीडिया पर जो चल रहा है उसका कुल जमा सार है। सच अभी किसी नहीं पता।
तारीख के अलावा 1948 और 2020 में जो हुआ उसमें क्या समानता है और क्या फर्क। यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा, लेकिन अभी, इस वक्त ट्विटर पर जो ट्रेंड चल रहे हैं, उसका लब्बोलुआब यही है कि एक गोडसे था, जिसने 30 जनवरी को महात्मा गांधी को गोली मारी थी, और आज ही की तारीख में एक युवक ने एक व्यक्ति को गोली मारी है। तो क्या नाथूूराम गोडसे और युवक एक ही आदमी हैंं?
दरअसल, दिल्ली के जामिया मिलिया में सीएए को लेकर प्रदर्शन चल रहा है, इसी प्रदर्शन के दौरान युवक ने पिस्तोल को हवा में लहराया और फिर गोली चला दी, जो वहां प्रदर्शन में शामिल एक दूसरे लड़के को जा लगी। घटना के बाद पुलिस ने युवक को हिरासत में ले लिया है। इस एक मामले को लेकर ट्विटर पर पांच-पांच हैशटैग चल रहे हैं। इनमें हैशटैग रामभक्त, हैशटैग_हिंदुत्व_आतंकवादी, हैशटैग_टेरेरिस्ट, हैशटैग_जामिया और हैशटैग अरेस्ट_अनुराग_ठाकुर ट्रेंड कर रहा है। यानी एक ही मुद्दे को लेकर पांच हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने एक सभा में नारा लगवाया था कि देश के गद्दारों को, गोली मारो… @##@#@#
इस घटना के बाद ट्विटर पर अनुराग ठाकुर को गिरफ्तार करने का भी ट्रेंड चल रहा है। पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है कि 1948 में जिस गोडसे को गांधी ने गोली मारी थी, वो आज के भारत में भी जिंदा है।
क्या यह है मामला?
दूसरी तरफ राहुल रोशन ने ट्वीट किया कि पांच साल पहले युुवक जामिया में एडमिशन लेने के लिए आया था, लेकिन वहां के स्टूडेंट ने उसे आजादी के नारे लगाने के लिए कहा था और जमीन पर नाक रगड़वाई थी, उसी का बदला लेने के लिए उसने गोली चलाई। बताया जा रहा है कि गोलीबारी करने वाला युवक नाबालिग है।
दिल्ली पुलिस पर फिर सवाल
कोई कह रहा है कि जब मोहम्मद लुकमान शाहीन बाग में गन लहराता है तो कोई नहीं बोलता, जब कोई और ऐसा करता है तो मुद्दा बन जाता है। दोनों तरफ के यूजर्स तमाम तर्कों के साथ अपनी राय रख रहे हैं। कहीं घटना को जामिया का प्लान बताया जा रहा है तो कहीं उसे गोडसे करार दिया जा रहा है। सच क्या है यह तो बाद में ही सामने आएगा, लेकिन जामिया में प्रदर्शन कर रहे लोगों की भीड़ में इस तरह पिस्तोल से गोली चलाने के बाद दिल्ली पुलिस भी कठघरे में आ गई है, जब गोली चली तो पुलिस वहां मौजूद थी।
सच्चाई जो कुछ भी हो लेकिन विचारधारा की लड़ाई अब हिंसा में तब्दील हो गई है, यह देश के लिए एक खतरनाक स्थिति जैसा हो गया है।
फेसबुक पोस्ट भी हुई वायरल
इस घटना के बाद फेसबुक पर रामभक्त नाम से एक अकांउट के स्क्रीन शॉट भी वायरल हो रहे हैं। जिसमें उसके फोटो और उसके कुछ पोस्ट हैं, लेकिन यह फिलहाल तय नहीं है कि सोशल मीडिया पर जितना कुछ भी दोनों तरफ से वायरल हो रहा है, उसमें कितनी सच्चाई है। फिलहाल घटना 30 जनवरी, गांधी और गोडसे के बीच गड्ड मड्ड हो गई है। एक के बाद एक लाखों ट्वीट और पोस्ट किए जा रहे हैं, ऐसे में फोटो, वीडियो और जामिया में गोली चलाते हुए वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है।
हालांकि एक वर्ग ऐसा भी जो शरजील इमाम के आसाम को भारत से अलग करने के बयान और इस घटना की भरसक आलोचना कर रहे हैं।