जम्मू। पिछले कुछ दिनों से पूरी कश्मीर वादी ग्रेनेड अर्थात हथगोलों के हमलों से थर्रा रही है। वजन में 250 ग्राम की यह वस्तु कश्मीरियों में कितनी दहशत फैला चुकी है, यह उन 50 से 60 लोगों से पूछा जा सकता है, जो पिछले 3 दिनों के भीतर होने वाले क्रमवार 15 हथगोलों के हमलों के शिकार हुए हैं। इतना जरूर था कि सिलसिलेवार हथगोलों के हमलों ने उन अधिकारियों को चिंता में जरूर डाला है, जो अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा प्रबंधों से जुड़े हुए हैं।
वैसे कश्मीर में हथगोलों के हमले नए नहीं हैं। लेकिन ये ऐसे समय में एक बार फिर तेजी पकड़ चुके हैं जबकि कश्मीर में सुरक्षाबलों की ओर से एकतरफ सीजफायर का ऐलान किया हुआ है लेकिन आतंकी ग्रेनेडों का सहारा लेकर हमलों के सिलसिले को जारी रखे हुए हैं। आज भी ग्रेनेड हमले हुए हैं। पिछले 1 हफ्ते से ये लगातार हो रहे हैं। हालांकि आतंकियों ने सुरक्षाबलों के सीजफायर के बाद हमलों की नीति में ग्रेनेडों को भी शामिल करके सभी को चौंका जरूर दिया था।
अगर सूत्रों की मानें तो ग्रेनेड हमलों के पीछे वे प्रशिक्षित पत्थरबाज हैं, जो आतंकवादी गुटों में शामिल होते जा रहे हैं और हथगोलों को फेंकने का काम उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा बना दिया गया है। एक अधिकारी के बकौल, पत्थर फेंकने और हथगोलों को फेंकने वालों में कोई खास अंतर नजर नहीं आ रहा है। इनपुट कहते हैं कि काउंसलिंग के बावजूद पत्थरबाज आतंकियों की राह पर चल रहे हैं। कोशिश उनको इस राह से दूर ले जाने की कई बार हुई है, पर कई बार देखा गया है काउंसलिंग में शामिल होने वाले पत्थरबाज फिर से सड़कों पर सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकते नजर आए हैं।
बताया जाता है कि हथगोले फेंकने वालों में अधिकतर स्थानीय युवक हैं जिन्हें कुछ रुपयों का लालच देकर भी इस काम में झोंका जा रहा है। फिलहाल सिलसिलेवार ग्रेनेड हमलों के मामले में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, पर अधिकारी कहते हैं कि जल्द ही ऐसे युवकों की नकेल कस दी जाएगी। इतना जरूर था कि हथगोलों के हमले के सिलसिले को थामने में नाकाम होते सुरक्षाबलों के माथे पर चिंता की लकीरें भी दिखनी शुरू हो गई थीं।
ऐसा इसलिए था, क्योंकि मिलने वाली सूचनाएं कहती थीं कि हथगोलों का इस्तेमाल अमरनाथ यात्रियों पर हमलों के लिए किया जा सकता है। इस बार 28 जून को अमरनाथ यात्रा आरंभ हो रही हैं और इसे भुलाया नहीं जा सकता कि अमरनाथ यात्रा कई बार हथगोलों के हमलों का शिकार हो चुकी है जिसमें कइयों की मौत भी हो चुकी है।