भोपाल। विधायक रहते हुए सांसद का चुनाव लड़कर जीतने वाले नेताओं को अब विधायकी ही रास आ रही है। इसके पीछे इन नेताओं की व्यक्तिगत इच्छा कम सियासी मजबूरी ज्यादा है। मध्यप्रदेश के रतलाम-झाबुआ सीट से कांग्रेस के दिग्गज कांतिलाल भूरिया को चुनाव हराने वाले भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद गुमान सिंह डामोर अब सांसद पद छोड़ सकते हैं।
दरअसल नए-नए सांसद चुने गए भाजपा विधायक जीएस डामोर अब सियासी गुणा-भाग के चलते दुविधा में फंस गए हैं कि वो अब कौनसा पद छोड़ें। डामोर ने इसके लिए पार्टी संगठन से राय मांगी है। सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश के सियासी समीकरण को देखते हुए पार्टी संगठन चाह रहा है कि डामोर विधायक पद पर बने रहें और सांसद पद छोड़ दें।
मध्य प्रदेश में वर्तमान में भाजपा के 109 विधायक हैं, जिसमें जीएस डामोर भी शामिल हैं। ऐसे में जब भाजपा के नेता आए दिन ये दावा कर रहे हैं कि कमलनाथ सरकार कभी भी गिर सकती है तब एक-एक विधायक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में आने वाले दिनों में अगर सदन किसी भी तरह के फ्लोर टेस्ट की संभावना बनती है तो प्रदेश भाजपा किसी भी हालत में नहीं चाहेगी कि उसकी सदस्य संख्या में कोई कमी हो।
ऐसे में संभावना इस बात जताई जा रही है कि आने वाले एक-दो दिन में डामोर सांसदी छोड़ दें। वैसे गुमान सिंह सांसद रहेंगे या विधायक इसका अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष अमित शाह करेंगे।
आजम खान : लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के रामपुर से बहुचर्चित मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा को हराने वाले आजम खान भी अब सांसदी छोड़ने की बात कह रहे हैं। हाईवोल्टेज मुकाबले में जया प्रदा को हराने वाले आजम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब रामपुर के लोगों के हितों की रक्षा के लिए सांसदी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार आजम खान के इस तरह बयान को सियासी पैंतरेबाजी करार दे रहे हैं। आजम खान अपना वोट बैंक साधने के लिए ये संदेश देना चाह रहे हैं कि वो क्षेत्र की जनता के लिए सांसद का पद भी ठुकरा सकते हैं।