नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (GST) अधिकारियों ने फर्जी बिल बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया है। इस अवैध धंधे में 1,278 करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाने का मामला सामने आया है जिनके जरिए अवैध रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया गया। इस मामले में 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी है।
मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि खुफिया सूचना के आधार पर केन्द्रीय माल एवं सेवाकर (सीजीएसटी) के कर अपवंचना- रोधी शाखा के अधिकारियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए फर्जी बिल बनाने के एक बड़े गोरखधंधे को पकड़ा। यह कार्रवाई सीजीएसटी, आयुक्तालय, दिल्ली (पूर्वी) के तहत की गई। इसमें 1,278 करोड़ रुपए (अनुमानित) के फर्जी बिलों के जरिए अवैध आईटीसी हथियाने की चाल सामने आई है।
यह काम 5 अलग अलग फर्जी कंपनियां बनाकर किया जा रहा था। इसमें 137 करोड़ रुपए के आईटीसी पाने की चाल थी। सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले इन लोगों की पहचान के लिये जीएसटी अधिकारियों ने दिल्ली और हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की।
इस पूरे गोरखधंधे में सब कुछ नकलद होता है। फर्जी कंपनियां नकली बिल बनाती है। कोई माल भेजे बिना ही फर्जी ई-वे बिल भी तैयार किये जाते हैं और उसके बाद सरकार से आईटीसी का दावा किया जाता है। जीएसटी के तहत कच्चे माल और दूसरी खरीद पर दिए गए कर की वापसी होती है।
बताया जा रहा है कि इस पूरे गोरखधंधे के पीछे आशीष अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति का दिमाग चल रहा था। उसे सीजीएसटी कानून की धारा 132 के तहत 29 अक्टूबर को गिरफ्तार कर ट्रांजिट न्याययिक हिरासत में दे दिया गया है।
वक्तव्य में कहा गया है कि फर्जी बिल बनाने की इस प्रक्रिया में शुरुआती लाभार्थी कंपनी मैसस माया इंपेक्स रही जो कि अग्रवाल की 66 वर्षीय मां के नाम पर पंजीकृत है।
इस कंपनी के जरिए फर्जी तरीके से 77 करोड़ रुपए के आईटीसी हस्तांतरित किए गए। इसमें कई प्रमुख कंपनियों के नाम पर घी, दूध पाउडर की आपूर्ति की नकली बिक्री दिखाई गई है। अब तक 7 करोड़ रुपए से अधिक के अमान्य आईटीसी की वसूली हो चुकी है और आगे की जांच चल रही है। (भाषा)