Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या हिंदुस्तान में 'बिहारी' होना इतना बड़ा गुनाह है?

हमें फॉलो करें क्या हिंदुस्तान में 'बिहारी' होना इतना बड़ा गुनाह है?

सीमान्त सुवीर

जिस तरह दुनिया के कोने-कोने में भारतीय बसे हुए हैं, ठीक उसी तर्ज पर देशभर में बिहारी फैले हुए हैं। देश का शायद ही ऐसा कोई कोना बचा होगा, जहां बिहारियों की मौजूदगी न हो। 'रोजी रोटी' की तलाश में अपना गांव-शहर छोड़कर बिहारी लोगों ने दूसरे राज्यों की तरह गुजरात में भी अपना बसेरा बसाया, लेकिन आज हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि वे अपनी 'जिंदगी बचाने' के लिए गुजरात से रुखसत हो रहे हैं। क्या बिहारी होना इतना बड़ा गुनाह है कि लोगों की जान पर बन आए...


गुजरात इस वक्त बिहारियों के पलायन, उन पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सुर्खियों में है। यहां तक कि गुजरात की आग ने महाराष्ट्र को भी अपने आगोश में ले लिया है। गुजरात में जिस तरह बिहारियों के अलावा उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है, वह कब शोलों का रूप ले लेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। मासूम बच्चों, महिलाओं और मेहनतकश बिहारियों से भरी ट्रेनें गुजरात से रवाना हो रही हैं।
webdunia

ट्रेनों में इतनी अफरातफरी क्यों : अभी न तो कोई दिवाली है, न ही छठ पूजा...फिर ट्रेनों में इतनी अफरातफरी क्यों है? लोगों के चेहरों पर इतना खौफ क्यों है? आखिर वह कौनसी वजह है, जिसके कारण दहशत का माहौल है? असल में ये लोग अपनी जिंदगी बचाने की गरज से गुजरात को आखिरी सलाम कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि जान बचेगी तो लड़ेंगे, जान ही नहीं रहेगी तो लड़ेंगे कैसे?

एक व्यक्ति के अपराध के लिए पूरा समाज दोषी क्यों : दरअसल, गुजरात के साबरकांठा जिले में 28 सितंबर को 14 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में एक बिहारी युवक को गिरफ्तार किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि गुनाहगार को उसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक व्यक्ति के अपराध के लिए पूरे समाज अथवा समुदाय को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है? कैसे उन्हें अपनी रोजी-रोटी और रोजगार से बेदखल किया जा सकता है? इस बात की क्या गारंटी है कि प्रतिहिंसा में बिहार और उत्तर प्रदेश में रह रहे गुजरातियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा?

एक घटना ने लिया विकराल रूप : साबरकांठा जिले की एक घटना ने गुजरात के 6 जिलों को अपने आगोश में ले लिया। हिंसा का ऐसा तांडव हुआ कि बिहारी और उत्तर भारतीय लोग स्थानीय लोगों के निशाने पर आ गए और उन्होंने जिंदगी बची रहने का फैसला लेते हुए गुजरात छोड़ने का फैसला लिया। इन 6 जिलों में पुलिस ने  42 मामले दर्ज किए हैं और अब तक 431 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
webdunia

50 हजार लोग छोड़ चुके हैं गुजरात : बिहारी और उत्तर भारतीयों को गुजरात के लोगों ने धमकी दी है कि यदि 10 अक्टूबर तक उन्होंने गुजरात नहीं छोड़ा तो उनके हाथ-पैर काट दिए जाएंगे। इस धमकी के बाद अब तक 50 हजार लोग गुजरात से कूच कर गए हैं। गुजरात में कोई 5 साल से नौकरी कर रहा था तो कोई 15 साल से, लेकिन धमकी के बाद ये लोग अपनी जान की खातिर वहां से रवाना हो रहे हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवन में गुजरात में ऐसा माहौल नहीं देखा, जो अब देखने को मिल रहा है।

मेहसाणा में 200 परिवारों ने घर खाली किए : स्थानीय लोगों की धमकी के कारण बिहार और उत्तर भारत के रहने वाले 200 परिवारों ने मेहसाणा में अपने घर खाली कर दिए हैं और वे अपने अपने गृहनगर लौट गए हैं। ये सभी लोग बहुत डरे और सहमे हुए थे। इन सभी का एक ही कहना था कि क्या बिहारी होना सबसे बड़ा गुनाह है? हालांकि पुलिस सभी प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षा देने का आश्वासन दे रही है, लेकिन इसका कोई असर उन पर नहीं पड़ रहा है।

सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने वाले संदेश : गुजरात हिंसा के मामले में सोशल मीडिया ने आग में घी का काम किया। इसमें घृणा फैलाने वाले संदेशों के कारण देखते ही देखते हिंसा का दायरा बढ़ता ही चला गया। यूं भी सोशल मीडिया पर आने वाली हर खबर सच नहीं होती, पर इसे समझे कौन?

उत्तर भारतीय लोगों पर हमले को लेकर राजनीति भी गरमाई : गुजरात में बिहारियों पर कहर टूटने के बाद राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आरोप है कि गुजरात में हो रही हिंसा की जड़ वहां के बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है। व्यवस्था और अर्थव्यवस्था दोनों चरमरा रही हैं।
webdunia

आंकड़ों में बिहारी और उत्तर भारतीय : बीते 10 सालों के आंकड़े बताते हैं कि पेट की खातिर बिहार से 7 लाख लोग गुजरात पहुंचे हैं। सूरत जिसे हीरों के कारोबार के लिए दुनियाभर में जाना जाता है, वहां तो गुजराती से कहीं ज्यादा 56 फीसदी लोग बिहार और उत्तर भारत से हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि बिहारी बहुत मेहनतकश होते हैं क्योंकि इसके अलावा उनके पास और कोई दौलत है ही नहीं।

लोगों की नादानी का खामियाजा भुगतेगा गुजरात : कुछ असामाजिक तत्‍व जो गुजरात को आग में झोंकने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी ये नादानी पूरे गुजरात पर भारी पड़ सकती है। गुजारात चैंबर ऑफ कॉमर्स इसकी चिंता भी जता चुका है। बिहार के रहने वाले नौकरी-पेशा से लेकर हुनरमंद और छोटे धन्धे यानी मजदूर, पानीपुरी (गोल गप्पे), कलर आदि का काम करने वालों को जब गुजरात से खदेड़ा जाएगा तो इसका व्यापक असर पूरे प्रदेश पर पड़ेगा।

चिंगारियां पूरे देश में उड़कर दावानल का रूप न ले ले : बिहारी और उत्तर भारतीयों के पलायन की चिंता न केवल मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और गृहमंत्री प्रदीप सिंह को सता रही है, बल्कि उन गुजरातियों को भी डर लगने लगा है जो उत्तर भारत और बिहार में बसर कर रहे हैं। डर तो इसका है कि कहीं अराजकता और भेदभाव की चिंगारियां पूरे देश में उड़कर दावानल का रूप न ले ले। जिस किसी के भी पेट पर जब लात लगेगी तो वह किसी भी हद तक जा सकता है।

महाराष्ट्र में बिहारी की पिटाई से तनाव : गुजरात की आग महाराष्ट्र तक भी पहुंच गई है। मुंबई से सटे थाणे में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने एक अधेड़ बिहारी युवक की इसलिए जमकर पिटाई की क्योंकि पार्क में खेल रही 4 साल की बच्ची को वह अश्लील इशारे कर रहा था। अरविंद नामक युवक ने पहले वीडियो बनाया और फिर उसे अपने साथियों को बताया। फिर क्या था, युवकों ने उसकी जमकर खबर लेने के बाद उसे पुलिस के हवाले किया। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

निमोनिया के कारण ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार की हालत स्थिर