नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने बिल्किस बानो को 50 लाख रुपए और नौकरी दी है, जिनके साथ 2002 के दंगों के दौरान उस समय सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह 5 महीने की गर्भवती थीं।
बानो ने अपने आवेदन में कहा कि जहां तक नौकरी की पेशकश और आवास संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश का राज्य सरकार द्वारा अनुपालन किए जाने का सवाल है तो वह संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के अनुपालन के नाम पर केवल बातें करने का काम किया है।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, याचिका गलत है। हालांकि प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि वे मामले पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।
मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए शुरू में कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार बानो को 50 लाख रुपए और नौकरी दी है। बानो ने अधिवक्ता शोभा गुप्ता के जरिए दायर याचिका में कहा कि आवास के नाम पर राज्य सरकार ने उसे केवल 50 वर्गमीटर की जगह दी है, जो दस्तावेजों में बागवानी क्षेत्र के रूप में दर्ज है।
उन्होंने कहा कि जहां तक नौकरी की बात है तो उन्हें सिंचाई विभाग में अनुबंध के आधार पर एक खास परियोजना के लिए चपरासी की नौकरी दी गई है।(भाषा)