चंडीगढ़। बाबा राम रहीम देश के बाबाओं की परंपरागत छवि से एकदम अलग नजर आते हैं। अपनी फिल्मों के प्रमोशनल वीडियो में एक ओर जहां वे भड़कीले रंगों के गाउन में हवा में उड़ते नजर आते हैं तो असली जिंदगी में उन्हें महंगी बाइकों पर सवार हो हवा से बातें करना भाता है।
गुरमीत राम रहीम जितना अधिक चर्चाओं में रहे हैं, उनकी निजी जिंदगी के बारे में दुनिया उतना ही कम जानती है।
लाखों समर्थकों और अनुयायियों के बीच 'पिताजी' कह कर पुकारे जाने वाले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम का संबंध राजस्थान के एक गांव से हैं जहां वह अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे।
डेरा प्रमुख का जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के श्री गुरूसार मोदिया गांव में 15 अगस्त 1967 में एक जमींदार परिवार में हुआ था और बचपन में गुरमीत खेतों में अपने पिता की सहायता करते थे।
कहा जाता है कि वह बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृति के थे। सात वर्ष की आयु में सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने उन्हें अपना शागिर्द बना लिया और उन्हें राम रहीम नाम दिया।
इसके 16 वर्ष बाद 1990 में सतनाम सिंह ने देश भर से अपने अनुयायियों को विशाल सत्संग के लिए आमंत्रित किया और उसमें 23 वर्षीय गुरमीत राम रहीम को उनका वारिस चुना गया।
दसवीं तक पढ़ाई करने वाले गुरमीत की पत्नी का नाम हरजीत कौर है और चरणप्रीत तथा अमनप्रीत नाम की उनकी दो बेटियां और एक बेटा जसमीत है। इसके अलावा उन्होंने एक बेटी गोद भी ली है।
डेरा प्रमुख बनने के साथ ही राम रहीम ने दो वर्ष पहले स्वदेशी और ऑर्गेनिक वस्तुओं की 'एमजीआर' रेंज शुरू की थी। उनका यह व्यवसाय उनके बच्चे संभाल रहे हैं जो कि यहां से 260 किलोमीटर दूर सिरसा में डेरा में ही रहते हैं।
राम रहीम ने 2014 में 'मैसेंजर ऑफ गॉड' नाम से फिल्म बनाई और उसमें प्रमुख भूमिका भी निभाई । अब तक वह तीन फिल्मों में काम कर चुके हैं जिसमें उन्हें बॉलीवुड के किसी सुपर स्टार की तरह खतरनाक स्टंट्स करते और नाचते गाते देखा जा सकता है। (भाषा)