तस्वीर सीमा सुरक्षा बल के जवान गुरनामसिंह की है, जो जम्मू के सरकारी अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है। बीएसएफ के लाखों लोग दुआ कर रहे हैं कि वो फिर मोर्चे पर लौटे और दुश्मनों के नापाक मंसूबों को बर्बाद कर दें।
जम्मू में बीएसएफ के आईजी डीके उपाध्याय ने कहा कि इस बहादुर जवान पर हमें नाज है..गर्व है ..उम्मीद है कि भगवान की कृपा से बच जाएगा। जिस बहादुरी के साथ गुरनाम दुश्मनों के साथ लड़ा है वो काबिले तारीफ है।
बात 19-20 अक्टूबर की रात की है। जम्मू के हीरानगर सेक्टर के बोबिया पोस्ट पर गुरनाम तैनात था। अचानक पौने बारह बजे उसकी नजर पड़ती है कि सरहद पर कोई हलचल हो रही है। 150 मीटर कुछ धुंधले चेहरे दिखने लगते हैं। बिना देर किए गुरनाम अपने साथियों को अलर्ट करता है।
ललकारने पर पता चला कि वो आतंकी हैं। फिर क्या था दोनों ओर से गोलीबारी हुई और बाद में आतंकी वापस भाग खड़े हुए।
तब तक दूसरी ओर तैनात पाकिस्तानी रेंजर्स को पता लग चुका था कि गुरनाम ही वो मुख्य सिपाही है जिसकी वजह से उसे मुंह की खानी पड़ी। 21 अक्टूबर को सुबह 9.35 रेंजर्स ने बदला लेने के ख्याल से स्नाइपर रायफल्स से उस पर फायर किया। यह ऐसी राइफल है जिससे काफी दूर से सटीक निशाना साधा जा सकता है। गोली सीधे निशाने पर गुरनाम को लगी।
इसके बावजूद जांबाज गुरनाम ने हथियार नहीं डाले बल्कि उन पर फायर करता रहा। तब से लेकर अब तक गुरनाम की हालत काफी गंभीर बनी हुई है। बीएसएफ का कहना है कि अगर जम्मू के अस्पताल में गुरनाम की हालत नहीं सुधरी तो वो उसे दिल्ली के किसी भी अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गुरनाम के घायल होने के बाद बीएसएफ ने जबाबी कार्रवाई की, जिसमें सात पाकिस्तानी रेंजर्स और एक आतंकी मारा गया।
पांच साल पहले बीएसएफ में शामिल हुए, सिख परिवार में जन्मे गुरनाम जम्मू के रणवीरसिंह पुरा इलाके के रहने वाले हैं। गुरनाम की दिली ख्वाहिश थी कि बीएसएफ में शामिल हों। इनके परिवार को इस बात पर गर्व है कि ये बीएसएफ का हिस्सा है। इनके भाई और बहन इन्हें अपने आदर्श की तरह देखते हैं।