नई दिल्ली। हिन्दू समाज में अभी तक आम धारणा यह है कि गोमूत्र के सेवन से लोगों को बीमारियों में भी काफी फायदा होता है, लेकिन ताजा रिसर्च इसके ठीक उलट है। इस शोध के मुताबिक गोमूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो इसे उपयोग करने वाले को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह शोध इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI) ने किया है।
14 घातक बैक्टीरिया : इस रिसर्च के मुताबिक गायों और बैलों के मूत्र में 14 तरह के घातक बैक्टीरिया पाए गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यह रिसर्च बरेली स्थित आईसीएआर (ICAR) इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया है। यह शोध भोजराज सिंह के नेतृत्व में किया गया था। 3 पीएचडी छात्र उनके सहयोगी थे।
इस अध्ययन में पाया गया कि गायों और सांडों (बैल) के मूत्र में एस्चेरिचिया कोलाई की उपस्थिति के साथ ही करीब 14 प्रकार के घातक बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया में पेट में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
भोजराज सिंह ने बताया कि गाय, भैंस और मनुष्यों के मूत्र के 73 नमूनों का विश्लेषश किया। इसमें यह भी सामने आया कि भैंस के मूत्र में जीवाणुरोधी गतिविधि गायों की तुलना में कहीं ज्यादा थी। एस एपिडर्मिडिस (S Epidermidis) और ई रापोंटिसी (E Rhapontici) जैसे बैक्टीरिया पर भैंस का मूत्र काफी ज्यादा प्रभावी था।
डिस्टिल गोमूत्र बढ़ाता है इम्यूनिटी : हालांकि आईवीआरआई के ही पूर्व निदेशक आरएस चौहान ने टीओआई को बताया कि वे 25 साल से गोमूत्र पर रिसर्च कर रहे हैं। उनका मानना है कि डिस्टल गोमूत्र व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कैंसर और कोविड में भी मदद करता है। चौहान कहते हैं कि यह रिसर्च डिस्टिल गोमूत्र पर नहीं किया गया है, जिसे हम लोगों को उपयोग करने की सलाह देते हैं।