नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह उस याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा, जिसमें पत्नियों को छोड़ने वाले और दहेज के लिए उन्हें परेशान करने वाले प्रवासी भारतीय (एनआरआई) पतियों की आवश्यक गिरफ्तारी का आग्रह किया गया है।
याचिकाकर्ता महिलाओं के समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यिन की पीठ से कहा कि मामले में बयान पूरे हो चुके हैं और वह दलीलों के लिए तैयार हैं।
पीठ ने कहा कि वह मामले को जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर रही है। गैर सरकारी संगठन प्रवासी लीगल सेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगडे ने कहा कि उन्होंने मामले में अलग से एक याचिका दायर की है और मुद्दे पर वे अदालत की मदद करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि मामले में नोटिस जारी किया जाए। पीठ ने दोनों याचिकाओं पर नोटिस जारी कर दिया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि उन्होंने भी मामले में अलग से याचिका दायर की है और इस पर नोटिस जारी किया जाए।
शीर्ष अदालत ने 13 नवंबर 2018 को संबंधित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिसमें आग्रह किया गया है कि परित्यक्त महिलाओं को कानूनी और वित्तीय मदद मिलनी चाहिए तथा उनके एनआरआई पतियों को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
एनआरआई पतियों द्वारा छोड़ी गईं और उनके द्वारा दहेज उत्पीड़न की शिकार हुईं महिलाओं के एक समूह ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अलग रह रहे अपने पतियों की आवश्यक गिरफ्तारी और विदेश में मुकदमा लड़ने के लिए दूतावास संबंधी मदद सहित अन्य राहत मांगी है।(भाषा)