नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने नागरिकों के आधार नंबर से मतदाता पहचान पत्र जोड़ने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला की एक जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने उच्च न्यायालय में सुनवाई का प्रभावी विकल्प होने के बावजूद शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने के कारण सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
पीठ ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी है। सुरजेवाला की ओर से तर्क दिया गया था कि 3 अलग-अलग राज्यों में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं और विभिन्न उच्च न्यायालय इस मामले में एक-दूसरे से अलग आदेश पारित कर सकते हैं। इस दलील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यदि अलग-अलग उच्च न्यायालयों में मामला जाता है तो केंद्र सरकार उन्हें जोड़ने और एक उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने की मांग कर सकती है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने वाला संशोधन साफतौर पर 'मनमाना' और पूरी तरह से 'तर्कहीन' है। इसका उद्देश्य दो पूरी तरह से अलग दस्तावेजों (उनके डेटा के साथ) यानी आधार कार्ड को जोड़ना है, जो निवास का प्रमाण है (स्थायी या अस्थायी) और मतदाता पहचान पत्र, जो नागरिकता का प्रमाण है।
याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले (जिसने आधार अधिनियम 2016 की वैधता को बरकरार रखा) का हवाला देते हुए दावा किया कि मतदाता कार्ड और आधार संख्या को जोड़ना आनुपातिकता की कसौटी पर सही नहीं बैठता है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि वैध पहचान दस्तावेज रखने के बावजूद लाखों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।(वार्ता)