अमृतसर। अफगानिस्तान में तालिबान फिर से सिर उठा रहा है और ऐसे समय में क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने, देश के जटिल सुरक्षा परिदृश्य को बेहतर बनाने और युद्ध से जर्जर देश को फिर से खड़े होने में मदद करने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतों का एक सम्मेलन इस पवित्र शहर में आज प्रारंभ हुआ।
हार्ट ऑफ एशिया - इस्तांबुल प्रक्रिया के वार्षिक सम्मेलन में करीब 40 देशों समेत यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख समूह संकट से घिरे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया बहाली समेत देश से जुड़ी कई समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं।
आज भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत सभी 14 देशों के वरिष्ठ अधिकारी और 17 सहयोगी देशों के प्रतिनिधि अफगानिस्तान के जटिल सुरक्षा परिदृश्य और आतंकवाद, कट्टरता और उग्रवाद के खतरे से निपटने के मुद्दे समेत कई व्यापक विषयों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण और मध्य एशियाई देशों के साथ अफगानिस्तान का संपर्क बेहतर करने पर चर्चा हो रही है। भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई बैठक की संयुक्त अध्यक्षता कर रहे हैं।
बैठक में कल के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के मसौदों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और साथ ही इसके घोषणापत्र पर भी चर्चा की जा रही है, जिसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद से संबंधित होगा। (भाषा)